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पिता पर कविताएँ

पारिवारिक इकाई में पिता

एक विशिष्ट भूमिका का निर्वाह करता है और यही कारण है कि जीवन-प्रसंगों की अभिव्यक्ति में वह एक मज़बूत टेक की तरह अपनी उपस्थिति जताता रहता है। यहाँ प्रस्तुत है—पिता विषयक कविताओं का एक विशेष संकलन।

घर की याद

भवानीप्रसाद मिश्र

सरोज-स्मृति

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

लड़कियों के बाप

विष्णु खरे

पितृ-स्मृति

आदर्श भूषण

पिता की तस्वीर

मंगलेश डबराल

पिता

उदय प्रकाश

एक पारिवारिक प्रश्न

केदारनाथ सिंह

सरोज-स्मृति (एन.सी. ई.आर.टी)

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

पिता

नवीन रांगियाल

मेरे बच्चे

शरद बिलाैरे

बचपन-रात

अदनान कफ़ील दरवेश

वर्षगाँठ

कैलाश वाजपेयी

वह तुम ही हो पिता

रश्मि भारद्वाज

रंगीन चित्र

प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी

घर

दिविक रमेश

पिता ने कहा था

प्रमोद बेड़िया

खो जाना

रवींद्रनाथ टैगोर

पिता का चश्मा

मंगलेश डबराल

पिता के फूल

उमाशंकर जोशी

मर्त्य पिता

पीयूष तिवारी

समालोचक

रवींद्रनाथ टैगोर

मुझसे सवाई सबल

मालचंद तिवाड़ी

अलग बात

अमर दलपुरा

पिता की क़मीज़

विनय सौरभ

पितृ-ऋण

राजकमल चौधरी

पिता और देश

विजया सिंह

एक पिता

कबीन फूकन

रोकना

प्रेम रंजन अनिमेष

अब भी

अवधेश कुमार

पिता

शशिभूषण

पापा जब मुझे मिले

सुमित त्रिपाठी