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विद्रोह पर कविताएँ

विद्रोह की अपनी एक जनपक्षधरता

भी होती है। इस आशय में कविता विद्रोह का संकल्प लेती भी रही है और लोगों को इसके लिए जागरूक भी करती रही है। यहाँ प्रस्तुत है—विद्रोह विषयक कविताओं से एक विशेष चयन।

एक दिन

सारुल बागला

लड़के

नवीन रांगियाल

जुमला

रचित

एक सांसारिक गीत

डब्ल्यू. एस. रेण्ड्रा

ईश्वर से मुखामुखी

फरूग़ फरूख़ज़ाद

अराजक

हिमांशु विश्वकर्मा

दोनातेलो और डेविड

कोलिन फ़ाल्क

पाश के लिए

दिनेश कुशवाह

लाल झंडा

मदन कश्यप

रूमाल

कमल जीत चौधरी

जवानी

श्यामसुंदर मिश्र 'मधुप'

सुनो

शिवानी कार्की

विद्रोह

निदा नवाज़