Font by Mehr Nastaliq Web

विद्रोह पर उद्धरण

विद्रोह की अपनी एक जनपक्षधरता

भी होती है। इस आशय में कविता विद्रोह का संकल्प लेती भी रही है और लोगों को इसके लिए जागरूक भी करती रही है। यहाँ प्रस्तुत है—विद्रोह विषयक कविताओं से एक विशेष चयन।

जब हम विद्रोह करते हैं तो यह किसी विशेष संस्कृति के ख़िलाफ़ नहीं होता है। हम सिर्फ़ इसलिए विद्रोह करते हैं, क्योंकि कई कारणों से, हम अब साँस नहीं ले सकते।

फ्रांत्ज़ फ़ैनन

परंपरा और विद्रोह, जीवन में दोनों का स्थान है। परंपरा घेरा डालकर पानी को गहरा बनाती है। विद्रोह घेरों को तोड़कर पानी को चोड़ाई में ले जाता है। परंपरा रोकती है, विद्रोह आगे बढ़ना चाहता है। इस संघर्ष के बाद जो प्रगति होती है, वही समाज की असली प्रगति है।

रामधारी सिंह दिनकर

प्रकृति, आदर्श, जीवन-मूल्य, परंपरा, संस्कार, चमत्कार—इत्यादि से मुझे कोई मोह नहीं है।

राजकमल चौधरी

झुकने वाला व्यक्ति तड़प सकता है और विद्रोह कर सकता है, पश्चात्ताप तो निर्बल व्यक्ति करते हैं।

लॉर्ड बायरन

हमारे प्रत्येक आचरण, कर्म या विचार केवल वृत्त का निर्माण ही करते हैं।

श्रीनरेश मेहता

सच्चे विद्रोही, सच्चे प्रेमियों की तरह दुर्लभ होते हैं और दोनों ही मामलों में—बुख़ार को जुनून समझ लेने की ग़लती व्यक्ति के जीवन को नष्ट कर सकती है।

जेम्स बाल्डविन