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आलोचना पर उद्धरण

अगर कभी कोई अमेरिका की आलोचना करता भी है तो दबी ज़ुबान से करता है।

जे. एम. कोएट्ज़ी

आलोचना को छोड़कर हर व्यवसाय सीखने में मनुष्य को अपना समय लगाना चाहिए क्योंकि आलोचक तो सब बने बनाए ही हैं।

लॉर्ड बायरन

निंदा, प्रशंसा, इच्छा, आख्यान, अर्चना, प्रत्याख्यान, उपालंभ, प्रतिषेध, प्रेरणा, सांत्वना, अभ्यवपत्ति, भर्त्सना और अनुनय इन तेरह बातों में ही पत्र से ही प्रकट होने वाले अर्थ प्रवृत्त होते हैं।

चाणक्य

औरों की कमज़ोरियों की तरफ़ देखें, औरों की नुक्ता-चीनी करें—अपनी तरफ़ देखें। अगर हर एक आदमी अपना-अपना कर्तव्य करता है, अपना-अपना फ़र्ज़ अदा करता है, तो दुनिया का काम बहुत आगे जाएगा।

जवाहरलाल नेहरू

पशु इतने अच्छे मित्र होते हैं कि तो वे प्रश्न पूछते हैं, आलोचना करते हैं।

जॉर्ज इलियट

दूसरों की ग़लतियों की आलोचनाएँ ज़रूर की जाएँ लेकिन हमें अपनी तरफ़ भी ज़रूर देखना चाहिए।

जवाहरलाल नेहरू

अनुचित आलोचना परोक्ष रूप में आपकी प्रशंसा ही है। स्मरण रखिए कोई भी व्यक्ति मृत कुत्ते में लात नहीं मारता।

डेल कार्नेगी