सांत्वना पर उद्धरण
समय के दुख, अभाव, पराजय,
दुर्घटना, परिदृश्य को धीरज देती रचनाओं से एक चयन।

चूँकि दुनिया मौत और आतंक से भरी हुई है, मैं बार-बार अपने दिल को सांत्वना देने की कोशिश करता हूँ और उन फूलों को चुनता हूँ जो नर्क में उगते हैं।

प्यार नहीं मिल पाने की हालत में संभोग से ही मनुष्य को सांत्वना मिलती है।

…साथी होना तुच्छ होने के लिए हमारी सांत्वना है।

कला उनके लिए सांत्वना है, जिन्हें जीवन ने तोड़ दिया है।

इस बात में थोड़ी सांत्वना है कि लाखों लोग हमसे अधिक दुखी हैं। हमें दूसरे लोगों के दुःख से अधिक ख़ुश या अधिक संतुष्ट क्यों होना चाहिए?


निंदा, प्रशंसा, इच्छा, आख्यान, अर्चना, प्रत्याख्यान, उपालंभ, प्रतिषेध, प्रेरणा, सांत्वना, अभ्यवपत्ति, भर्त्सना और अनुनय इन तेरह बातों में ही पत्र से ही प्रकट होने वाले अर्थ प्रवृत्त होते हैं।

आत्महत्या का विचार एक ख़ूबसूरत सांत्वना है जिसके सहारे हम अनेक स्याह रातें गुज़ार लेते हैं।