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अभिव्यक्त पर उद्धरण

उसने कहा, ‘वास्तविकता इतनी असहनीय हो गई है, इतनी धूमिल कि अब मैं केवल अपने सपनों के रंगों से ही अभिव्यक्त कर सकती हूँ।

अज़र नफ़ीसी

कोई मनुष्य, चाहे कितने ही दुःख में क्यों हो, उस व्यक्ति के सामने अपना शोक प्रकट करना नहीं चाहता जिसे वह अपना सच्चा मित्र समझता हो।

प्रेमचंद

निंदा, प्रशंसा, इच्छा, आख्यान, अर्चना, प्रत्याख्यान, उपालंभ, प्रतिषेध, प्रेरणा, सांत्वना, अभ्यवपत्ति, भर्त्सना और अनुनय इन तेरह बातों में ही पत्र से ही प्रकट होने वाले अर्थ प्रवृत्त होते हैं।

चाणक्य

अत्यधिक संवेदनशीलता हीन भावना की अभिव्यक्ति है।

अल्फ़्रेड एडलर

यदि तदनुसार आचरण नहीं किया तो केवल कहने या पढ़ने से क्या लाभ?

संत तुकाराम

छोटे लोगों के गुण का वर्णन करने वाला अन्य कोई नहीं मिलता, अतएव वह स्वयं ही उसे कहता है।

माघ

क्रोध उन लोगों के ख़िलाफ़ अधिक स्वतंत्र रूप से प्रकट होता है, जो आपके सबसे क़रीब हैं… इतने क़रीब कि भरोसा होता है कि क्रोध और चिड़चिड़ेपन को माफ़ कर दिया जाएगा।

कार्सन मैक्कुलर्स