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सुनना पर उद्धरण

भाषा स्वयं सुनती है।

यून फ़ुस्से

कविता की रचना सुनने से जुड़ी है।

यून फ़ुस्से

कुत्ते भी बोलते हैं, लेकिन केवल उन्हीं से जो सुनना जानते हैं।

ओरहान पामुक

…मौन ऐसा होता है जिसे आप वास्तव में सुन सकते हैं।

हारुकी मुराकामी

अफ़वाह सुनना नहीं, सुनना तो मानना नहीं।

महात्मा गांधी

संकट में हर अफ़वाह सुनने योग्य समझी जाती है।

पब्लिलियस साइरस