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भाषा पर उद्धरण

भाषा मानव जाति द्वारा

प्रयुक्त वाचन और लेखन की प्रणाली है जिसका उपयोग वह अपने विचारों, कल्पनाओं और मनोभावों को व्यक्त करने के लिए करता है। किसी भाषा को उसका प्रयोग करने वाली संस्कृति का प्रतिबिंब कहा गया है। प्रस्तुत चयन में कविता में भाषा को एक महत्त्वपूर्ण इकाई के रूप में उपयोग करती कविताओं का संकलन किया गया है।

हमेशा पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी से निराश रही है। नई पीढ़ी भी पुरानी पीढ़ी बनकर निराश होती रही है।

त्रिलोचन

संतोष की भाषा धीमी होती है, क्योंकि वह शब्दों और मौन दोनों में व्यक्त होती है।

रघुवीर चौधरी

किसी विशुद्ध ‘बकवास’ को प्रदर्शित करना, और बोध के द्वारा भाषा की सीमाओं से सिर फोड़ने से आई चोटों को दिखाना दर्शन के परिणाम हैं। इन चोटों से हमें खोज की महत्ता पता चलती है।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

भाषा स्वयं सुनती है।

यून फ़ुस्से

विभिन्न धर्म अलग-अलग भाषाएँ हैं, जिनमें प्रत्येक की अपनी सच्चाई हो सकती है और सच्चाई की कमी हो सकती है और ऐसा सोचना मूर्खतापूर्ण है कि ईश्वर किसी प्रकार से परिभाषित है, जिसके बारे में आप कुछ भी कह सकते हैं।

यून फ़ुस्से

भाषा की कितनी दयनीय दरिद्रता है! सितारों की तुलना हीरे से करना!

गुस्ताव फ़्लॉबेयर

जब मैं भाषा के माध्यम से विचार करता हूँ तो मौखिक अभिव्यक्तियों के अतिरिक्त मेरे मन में कोई दूसरे ‘अर्थ’ नहीं होते : भाषा तो स्वयं ही विचार की वाहक होती है।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

क्या निजी भाषा के नियम, नियमों की प्रतिच्छाया हैं?—जिस तुला पर प्रतिच्छाया को तोला जाता है, वह तुला की प्रतिच्छाया नहीं होती।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

देश-प्रेम हो और भाषा-प्रेम की चिंता हो, यह असंभव है।

महात्मा गांधी

सब कुछ एक धोखा है—न्यूनतम माया की तलाश, सब कुछ एक सामान्य सीमांत में समेटकर रखना या अधिकतम की इच्छा। पहली स्थिति में मनुष्य अच्छाई को धोखा देता है, उसे अपने लिए बहुत आसानी से प्राप्य बनाकर, और शैतान को भी उसके ऊपर युद्ध की छेड़ने की असंभव कोशिश करके। दूसरी स्थिति में, मनुष्य अच्छाई को धोख़ा देता है, सामान्य स्थितियों में भी उसे पाने की इच्छा रखकर। तीसरी स्थिति में, मनुष्य अच्छाई से अधिकतम दूरी बनाकर उसे धोखा देता है और शैतान को अधिकतम पाने की लालसा में ख़ुद को शक्तिहीन बना लेता है। इसलिए इन तीनों में से दूसरी स्थिति अधिक इच्छित होनी चाहिए क्योंकि अच्छाई तो हमेशा ही धोखा खाती है, लेकिन इस स्थिति में, कम से कम सतही भाषा में ही शैतान के साथ कोई धोखा नहीं होता।

फ्रांत्स काफ़्का

भाषा बोलना एक दुनिया और एक संस्कृति को अपनाना है।

फ्रांत्ज़ फ़ैनन

क्या हमें किसी ऐसे व्यक्ति की कल्पना नहीं करना चाहिए, जिसने कभी संगीत नहीं सुना हो, और जो एक दिन अचानक शोपां की कोई अंतर्गुम्फित रचना सुने और यह मान बैठे कि यह एक ऐसी गुप्त भाषा है, जिसके अर्थों को दुनिया उससे छुपाए रखना चाहती है?

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

संतोष की भाषा धीमी होती है, क्योंकि वह शब्दों और मौन दोनों में व्यक्त होती है।

रघुनाथ चौधरी

प्रत्येक भाषा आपको वास्तविकता के अपने हिस्से तक पहुँच प्रदान करती है।

यून फ़ुस्से

हमें उस भाषा को बोलना सीखना चाहिए जिसे स्त्रियाँ तब बोलती हैं, जब उनकी ग़लती निकालने वाला कोई नहीं होता है।

एलेन सिक्सू

सब धर्म ईश्वर की देन हैं, परंतु उनमें मानव की अपूर्णता की पुट है, क्योंकि वे मनुष्य की बुद्धि और भाषा के माध्यम से गुज़रते हैं।

महात्मा गांधी

भाषा को अस्पष्ट करने का व्यवसाय एक मुखौटा है, जिसके पीछे लूट का बहुत बड़ा व्यवसाय है।

फ्रांत्ज़ फ़ैनन

‘चित्र’ ने हमें बाँध लिया है। और हम उससे बाहर नहीं निकल सकते क्योंकि वह हमारी भाषा में ही था और हमें ऐसा लगता है कि भाषा इसे निरपवाद रूप से दुहराती रहती है।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

हमें अंग्रेज़ी की आवश्यकता है, किंतु अपनी भाषा का नाश करने के लिए नहीं।

महात्मा गांधी

आध्यात्मिक भोजन के लिए भी भारत के लोग जिस दिन अंग्रेज़ी का मुँह देखेंगे, उस दिन उनके डूब मरने के लिए चुल्लू भर पानी काफ़ी होगा। अंग्रेज़ी सीखिए-सिखाइए लेकिन उसे विश्वविद्यालयों में शिक्षा का माध्यम क्यों बनाते हैं?

रामविलास शर्मा

जब भाषा विफल हो जाती है, तब युद्ध होता है।

मार्गरेट एटवुड

हम अपने देश का ‘पुनर्निर्माण’ बिना उसकी भाषा के पुनर्निर्माण के नहीं कर सकते। लोगों के बात करने का लहजा बदलिए और देखिए कि आपने उनके व्यवहार को बदल दिया है।

हुआन रामोन हिमेनेज़
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दयालुता ऐसी भाषा है, जिसे बहरे सुन सकते हैं और अंधे देख सकते हैं।

मार्क ट्वेन

धर्म की शिक्षा लौकिक विषयों की तरह नहीं दी जाती, हृदय की भाषा में दी जाती है।

महात्मा गांधी

अपेक्षा और उसकी पूर्ति भाषा में ही होती है।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

धुन का भाषा से मेल होता है।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

हम भाषा से जूझ रहे हैं।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

आपने ‘वेदना’ ‘प्रत्यय’ को तब सीखा था, जब आपने भाषा सीखी थी।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

हम भाषा के साथ संघर्ष में उलझे हुए हैं।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

‘सार’ व्याकरण द्वारा अभिव्यक्त होता है।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

आप, जो मेरा लिखा पढ़ रहे हैं, क्या आप निश्चित हैं कि आप मेरी भाषा समझते हैं?

होर्खे लुई बोर्खेस

हिंदी अगर एक छोटी-सी भाषा होती, लोग उसे प्रेम और मनुष्यता के साथ बरतते तो उसका लेखक इतना अकेला नहीं होता।

मंगलेश डबराल

मज़हब भाषा और लिपि की सीमा से बाहर है।

महात्मा गांधी

हमारे लिए कुछ और नहीं सिर्फ़ उद्धरण बचे हैं। हमारी भाषा उद्धरणों का एक तंत्र है।

होर्खे लुई बोर्खेस

भाषा की जान होता है मुहावरा।

शमशेर बहादुर सिंह

जो नहीं हैं, मैं उनकी जगह लेना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ, वे मेरे मुँह से बोलें।

मंगलेश डबराल

क्या कोई व्यक्ति स्वप्न में भी यह सोच सकता है कि अंग्रेज़ी भविष्य में किसी भी दिन भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है? फिर राष्ट्र के पाँवों में यह बेड़ी किसलिए?

महात्मा गांधी

भारत की सारी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ हैं। हिंदी ही सिर्फ़ राष्ट्रभाषा है, यह मानना भी एक खंडित सत्य होगा।

केदारनाथ सिंह

उस भाषा के साहित्य का दुर्भाग्य तय है, जहाँ आलोचक महान् हों, कवि नहीं।

स्वदेश दीपक

शिल्प भाषा का अंतःकरण है।

अशोक वाजपेयी

अगर राजनीति के बाहर भी स्वतंत्रता के कोई मतलब हैं तो हमें उसको एक ऐसी भाषा में भी खोजना, और दृढ़ करना होगा जो राजनीति की भाषा नहीं है।

कुँवर नारायण

मुझे पाने दो पहले ऐसी बोली जिसके दो अर्थ हों।

रघुवीर सहाय

भाषा का बहुस्तरीय होना उसकी जागरूकता की निशानी है।

कुँवर नारायण

भरोसा बनाए रखो कि तुम्हें भाषा पर सचमुच भरोसा है और हाँ, इसकी कोई समय-सीमा नहीं।

सिद्धेश्वर सिंह

कविता भाषा का भाषा में स्वराज है।

अशोक वाजपेयी

भाषा का होना कविता के होने की गारंटी है।

केदारनाथ सिंह

एक सरल वाक्य बचाना मेरा उद्देश्य है।

मंगलेश डबराल

हमें पुरानी भाषा से बाहर निकलने की ज़रूरत है।

आई वेईवेई

यह कड़वी हक़ीक़त कि हम हिंदी के लेखक एक-दूसरे को शौक़, प्यार और उदारता से नहीं पढ़ते। अक्सर तो पढ़ते ही नहीं। पढ़ भी लें तो बता नहीं देते कि पढ़ लिया है।

कृष्ण बलदेव वैद

मैं उन लोगों से घृणा करता हूँ जो उर्दू को सिर्फ़ एक मज़हब की भाषा मानते हैं। ऐसे लोग सिर्फ़ एक भाषा से घृणा नहीं करते, बल्कि इस देश से भी बैर करते हैं।

श्रीकांत वर्मा