होर्खे लुई बोर्खेस की संपूर्ण रचनाएँ
उद्धरण 32
कभी कभी घर पर रखी बहुत सारी किताबों को देख कर मुझे महसूस होता है कि इससे पहले कि मैं हर क़िताब तक पहुँचू मैं इस दुनिया से चला जाऊंगा, लेकिन फिर भी नई क़िताबों को खरीदने का उत्साह मेरा कम नहीं होता। जब भी मैं किसी बुक स्टोर पर जाता हूँ और मुझे वहाँ मेरी पसंद की कोई क़िताब दिख जाती है तो मैं ख़ुद से यह बात कहता हूँ कि यह कितने दुःख की बात है कि मैं यह क़िताब ले नहीं सकता क्योंकी मेरे पास उसकी एक प्रति पहले से है।