युद्ध पर उद्धरण
युद्ध संघर्ष की चरम
स्थिति है जो एक शांतिहीन अवस्था का संकेत देती है। युद्ध और शांति का लोक, राज और समाज पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। प्रस्तुत चयन में युद्ध और शांति और विभिन्न प्रसंगों में उनके रूपकों के साथ अभिव्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।
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वीरता जब भागती है, तब उसके पैरों से राजनीतिक छल-छद्म की धूल उड़ती है।
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सेना किसी राष्ट्र के आंतरिक शौर्य का कुल जमा हासिल होती है, उस शौर्य से अपने राष्ट्र को ‘सबक़’ नहीं सिखाया जाता।
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हम युद्ध-बंदी हैं। हमारे सपनों में मिलावट कर दी गई है। हम कहीं के नहीं रहे हैं। हम अशांत समुद्रों पर लंगरविहीन जहाज़ की तरह यात्रा कर रहे हैं। हो सकता है, हमें कभी किनारा न मिले। हमारे दुख कभी उतने दुखद नहीं होंगे। न हमारे सुख कभी उतने सुखद। हमारे सपने कभी उतने विशाल न होंगे। न हमारी ज़िंदगियाँ उतनी महत्त्वपूर्ण कि उनकी कोई अहमियत हो।
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प्रेम और युद्ध के तरीक़े एक जैसे। जो हारे, वह युद्धबंदी।
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संपूर्ण संसार कर्मण्य वीरों की चित्रशाला है।