
असली संग्रहालय वे स्थान हैं, जहाँ समय स्थान में परिवर्तित हो जाता है।

जगहों की दूरी आदिकाल से मानव को चिढ़ाती आई है। दूर-दूर जाने की इच्छा उतनी ही बलवती रही है जितनी दूरियों को घटाने की कोशिश।

शून्य स्थान में ही स्थिरता संभव है।

कर्मक्षेत्र में परस्पर सहायता की सच्ची उत्तेजना देने वाली किसी न किसी रूप में करुणा ही दिखाई देगी।

कार्य-क्षेत्र में स्वार्थों की संघर्षस्थली में महान् आदर्शों की रक्षा करना कठिन काम है।

सामायिक और स्थानीय कारणों से मनुष्य सीमा के अंदर सत्य को देखता है, इसलिए वह सत्य को छोड़कर सीमा की ही पूजा करने लगता है, देवता से अधिक पंडे को मानता है, राजा को भूल जाता है पर दरोगा को कभी नहीं भूलता।

पुत्र को सभा में अग्रिम स्थान में बैठने योग्य बनाना पिता का सबसे बड़ा उपकार होगा।

कृतघ्न को यश कैसे प्राप्त हो सकता है? उसे कैसे स्थान और सुख की उपलब्धि हो सकती है? कृतघ्न विश्वास के योग्य नहीं होता। कृतघ्न के उद्धार के लिए शास्त्रों में कोई प्रायश्चित नहीं बताया गया है।

ग़लत युद्ध, ग़लत स्थान पर, ग़लत समय पर और ग़लत शत्रु के साथ।

कुलीन लोग स्नेह से व्याकुल होकर भी देशकाल के अनुरूप आचार का अभिनंदन करते हैं।

गति का अर्थ है—एक समय और एक स्थान से दूसरे समय और स्थान में प्रवेश करना, अर्थात् परिवर्तन। यह परिवर्तन ही गति है, गति ही जीवन है! अमरता का अर्थ है—अपरिवर्तन, गतिहीनता।


फूलों से आँखों को हटाकर काँटों या सूखे पत्तों पर ज़माना उतना ही बड़ा भ्रम है जितना फूलों को देखते-देखते काँटों और सूखे पत्तों की बिल्कुल उपेक्षा और अवहेलना करना। अपनी-अपनी जगह सबका उपयोग होना चाहिए।

सब स्थानों पर क्षमा की एक सीमा होती है।

अंत में मैंने अपने हृदय के कोने में दृष्टि डाली। देखता क्या हूँ कि वह वहीं पर उपस्थित है। दूसरे स्थानों में व्यर्थ भटकता फिरा।

उसके साथ ऐसा लगता था, जैसे दो जगहें थीं—अंदर का कमरा और बाहर का कमरा।


दुनिया निश्चित रूप से एक आकस्मिक जगह है।

स्थान और समय वह ढाँचा हैं, जिसके भीतर मन अपनी वास्तविकता के अनुभव का निर्माण करने के लिए बाध्य है।