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चाँद पर उद्धरण

चाँद मनुष्य का आदिम

सहयात्री है जो रात्रि-स्याह के सुख-दुःख में उसका संगी-साथी हो जाता है। प्रेमिल बिंबों-प्रतीकों के साथ ही किसी कवि की ही कल्पना ने उसे देवत्व तक सौंप दिया है।

और वह चाँद को देखता है—गतिहीन प्रकाश से भरे बर्फ़ के गोल टुकड़े की तरह।

गुस्ताव फ़्लॉबेयर

चाँद रात की आँख है।

हान कांग
  • संबंधित विषय : आँख

निर्मल चंद्रमा पर पड़ी पृथ्वी की छाया को लोग चंद्रमा का कलंक कहकर उसे बदनाम करते हैं।

कालिदास

चंद्रमा, सूरज, तारे, आकाश, घर की चीज़ों की तरह थे। चंद्रमा सूरज शाश्वत होने के बाद भी इधर-उधर होते थे।

विनोद कुमार शुक्ल

पूर्णचंद्र के आलोक को परास्त कर पर्वत के ऊपर तारागण चमकते रहते हैं। उसका रूप देखने में ही तो आनंद है।

अवनींद्रनाथ ठाकुर

हे माँ! तुममें ही कामधेनु की सामर्थ्य है। तुम मंगलधाम हो, तपस्वियों का अद्वैत हो। तुममें सागर की गंभीरता है, पृथ्वी की उदारता है। तुम्हारे नेत्रों में शांत चंद्रमा का तेज़ है और हृदय में मेघमालाओं का सघन वात्सल्य। हे मां! इन सब गुणों का वास तुम में ही है

यशवंत दिनकर पेंढरकर

सूरज में यह दम-खम कहाँ कि आधी रात को दिखाई दे। चाँद रमता जोगी है, उसका कोई ठौर-ठिकाना नहीं।

अमृतलाल वेगड़

'चंद्रोदय देखकर' अहा कितना सुंदर है, ऐसा कहने वाले लोग कम ही हैं, किंतु, उन सभी को चाँद की माधुरी नहीं मिल पाती है।

अवनींद्रनाथ ठाकुर

लोक में अतिशय नवीन चंद्रकला आदि पदार्थ जयशील हैं। स्वभाव से सुंदर और भी पदार्थ हैं जो मन को प्रसन्न करते हैं परंतु जो यह नेत्र चंद्रिका लोक में मेरी दृष्टि में आई हैं, जन्म में एक वही महोत्सव रूप है।

भवभूति

चंद्रमा का उचित स्थान आकाश ही है, पृथ्वी नहीं।

बाणभट्ट

साथ निवास करने वाले दुष्टों में जल तथा कमल के समान मित्रता का अभाव ही रहता है। सज्जनों के दूर रहने पर भी कुमुद और चंद्रमा के समान प्रेम होता है।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

दिक्-काल के बंधन से परे जान पड़ता है यह चाँद!

अमृतलाल वेगड़

अकेले व्यक्ति के लिए बात करने को चंद्रमा एक मित्र है।

कार्ल सैंडबर्ग

मुझे चंद्रमा आकाश में गोल कटी हुई खिड़की की तरह लगता था जिससे आकाश की आड़ में छुपी हुई दुनिया का उजाला आता था।

विनोद कुमार शुक्ल

वह तुम हो जो चाँद का हमेशा से मतलब था और सूरज जो हमेशा गाएगा, वह तुम ही हो।

ई. ई. कमिंग्स

चंद्रमा के प्रकाश द्वारा प्रशंसा किए जाने पर किसी की छाया जीवन से बड़ी हो जाती है।

लियोनार्डो दा विंची

चाँद के पास ऐसा कोई दिव्य रसायन है, ऐसा कोई जामन है, जिससे वह धूप को चाँदनी में रूपांतरित कर देता है। बेचारा सूर्य! उसके पास ऐसा कोई जामन नहीं।

अमृतलाल वेगड़

यह कितनी अजीब बात है कि चाँद का प्रकाश उसकी अपनी चीज़ नहीं। सूरज की धूप ही चाँद के धरातल से टकराकर चाँदनी बन जाती है।

अमृतलाल वेगड़

तारों की शोभा हम तभी देख सकते हैं, जब चाँद हो।

अमृतलाल वेगड़

गुणों के समुदाय में एक दोष चंद्र की किरणों में कलंक की तरह लीन हो जाता है।

कालिदास

चाँद सृजक नहीं, अनुवादक है। वह धूप का चाँदनी में अनुवाद करता है पर कैसा दिव्य अनुवाद! धूप में वह माधुर्य कहाँ, जो चाँदनी में है! चाँद को अनुवादक कहूँ, अनुगायक कहूँ या अनुसर्जक कहूँ—यही समझ में नहीं रहा!

अमृतलाल वेगड़

राहु-ग्रहण के अवसर पर भी रोहिणी चंद्रमा का साथ देती है।

भास

जब मैं हिरासत में था तो उन दिनों मैं सबसे अधिक चाँद के बारे में सोचा करता था।

आई वेईवेई