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तारे पर उद्धरण

रात के आकाश में तारों

की टिमटिमाहट स्वयं में एक कला-उत्स का वैभव रचती है और आदिम समय से ही मानव उनके मोहपाश में ऐसा बँधा और बिंधा रहा है कि उसे अपने आग्रहों-दुराग्रहों का साक्षी बनाता रहा है। प्रस्तुत चयन में तारे को निमित्त रखकर अपनी बात कहती कविताओं का संकलन किया गया है।

भाषा की कितनी दयनीय दरिद्रता है! सितारों की तुलना हीरे से करना!

गुस्ताव फ़्लाबेयर

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