तारे पर गीत

रात के आकाश में तारों

की टिमटिमाहट स्वयं में एक कला-उत्स का वैभव रचती है और आदिम समय से ही मानव उनके मोहपाश में ऐसा बँधा और बिंधा रहा है कि उसे अपने आग्रहों-दुराग्रहों का साक्षी बनाता रहा है। प्रस्तुत चयन में तारे को निमित्त रखकर अपनी बात कहती कविताओं का संकलन किया गया है।

कहते हैं, तारे गाते हैं

हरिवंशराय बच्चन

देखो इन्हें

प्रसून जोशी

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