Font by Mehr Nastaliq Web

तारे पर कविताएँ

रात के आकाश में तारों

की टिमटिमाहट स्वयं में एक कला-उत्स का वैभव रचती है और आदिम समय से ही मानव उनके मोहपाश में ऐसा बँधा और बिंधा रहा है कि उसे अपने आग्रहों-दुराग्रहों का साक्षी बनाता रहा है। प्रस्तुत चयन में तारे को निमित्त रखकर अपनी बात कहती कविताओं का संकलन किया गया है।

खोज

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

अंकन

ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त

पंखुरियों वाले मेहमान

मारीना त्स्वेतायेवा

भोर का तारा

घनश्याम कुमार देवांश

जब कोई तारा

सुशोभित

नक्षत्रगीत

जी. शंकर कुरुप

उस तारे-सी

सविता सिंह

नामुमकिन

आशुतोष दुबे

फ़ादर्स डे

बृजेश्वर सिंह

टूटते तारे

राकेश मिश्र

नक्षत्र

सी. नारायण रेड्डी

शिकारी तारे

सिद्धार्थ बाजपेयी

ज़रूर

हरि मृदुल

सितारे

श्वेतांक सिंह

तारे

लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ

शुक्रतारा

मदन वात्स्यायन