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विनोद कुमार शुक्ल

1937 | राजनाँदगाँव, छत्तीसगढ़

सुप्रसिद्ध कवि-कथाकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुप्रसिद्ध कवि-कथाकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

विनोद कुमार शुक्ल की संपूर्ण रचनाएँ

कविता 22

उद्धरण 70

अधिकतर अज्ञानता के सुख-दुःख की आदत थी। ज्ञान के सुख-दुःख बहुतों को नहीं मालूम थे। जबकि ज्ञान असीम अटूट था। ज्ञान सुख की समझ देता था पर सुख नहीं देता था।

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“जितनी बुराइयाँ हैं वे केवल इसलिए कि कुछ बातें छुपाई नहीं जाती और अच्छाइयाँ इसलिए हैं कि कुछ बातें छुपा ली जाती हैं।”

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अदब और क़ायदे आदमी को बहुत जल्दी कायर बना देते हैं। ऐसा आदमी झगड़ा नहीं करता।

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दृश्य बदलने के लिए पलक का झपक जाना ही बहुत होता है।

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ख़ुश होने से पहले बहाने ढूँढने चाहिए और ख़ुश रहना चाहिए। बाद में ये बहाने कारण बन जाते। सचमुच की ख़ुशी देने लगते।

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चित्र शायरी 1

 

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