
हे राजा! धन से धर्म का पालन, कामना की पूर्ति, स्वर्ग की प्राप्ति, हर्ष की वृद्धि, क्रोध की सफलता, शास्त्रों का श्रवण और अध्ययन तथा शत्रुओं का दमन—ये सभी वही कार्य सिद्ध होते हैं।

स्वर्ग और नर्क के बारे में महान कविताएँ लिखी जा चुकी हैं, मगर पृथ्वी पर महान कविता लिखी जानी अभी बाक़ी है।

आप नर्क जाने के बाद स्वर्ग जाते हैं।

नरक स्वर्ग का तहख़ाना होगा।

स्वर्ग की तृष्णा मनुष्य के मनुष्य न होने की ललक है।

स्वर्ग मूर्खता है, इसकी गूँज सिर्फ़ मूर्ख को सुनाई देती है।

मैं स्वर्ग के पार उड़ गया और भगवान को काम करते हुए देखा। मैंने पवित्र कष्ट सही।

भविष्य स्वर्ग के समान है, सब इसकी सराहना करते हैं; लेकिन अब वहाँ कोई नहीं जाना चाहता है।

रचनात्मकता के स्वर्ग के बाहर ज़िम्मेदारी इंतजार कर रही है।

स्वर्ग अस्तित्वमान रहे, भले ही हमारी जगह नर्क में हो।

ओ मेरे स्नेही देश! तुम्हारी दुखी कुटिया में स्वर्ग की शांति है। ऐसी प्रीति, सहज प्राणस्पर्शी भाषा और सेवा का महिमामय त्याग, मैं कहाँ पाऊँगी?

अरस्तू आदम का अवशेष थे और एथेंस स्वर्ग का भग्नावशेष।

रेत के एक कण में एक संसार देखना, एक वनपुष्प में स्वर्ग देखना, अपनी हथेली में अनन्तता को देखना और एक घंटे में शाश्वतता को देखना।

दंड पर ही सारी प्रजा टिकी हुई है, दंड से ही भय होता है—ऐसी विद्वानों की मान्यता है। मनुष्यों का यह लोक और स्वर्ग दंड पर ही प्रतिष्ठित हैं।

होरेशियो! तुम्हारे दर्शनशास्त्र में जिन बातों की को कल्पना की गई है, उनकी तुलना में पृथ्वी और स्वर्ग में कहीं अधिक वस्तुएँ हैं।