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पानी पर कविताएँ

पानी या जल जीवन के अस्तित्व

से जुड़ा द्रव है। यह पाँच मूल तत्त्वों में से एक है। प्रस्तुत चयन में संकलित कविताओं में जल के विभिन्न भावों की प्रमुखता से अभिव्यक्ति हुई है।

पानी

नरेश सक्सेना

संघर्ष

सारुल बागला

पानी क्या कर रहा है

नरेश सक्सेना

मछलीघर

हेमंत देवलेकर

उगाए जाते रहे शहर

राही डूमरचीर

स्मृति

गोविंद निषाद

टूटती धार

दिनेश कुमार शुक्ल

पानी को क्या सूझी

भवानीप्रसाद मिश्र

आँख का जल

प्रकाश

विस्मृति

मनमोहन

आना अस्थि बनकर

गोविंद निषाद

सारी चीज़ें नहीं

कृष्णमोहन झा

पानी में नबूवत

संजय चतुर्वेदी

जैसे पवन पानी

पंकज सिंह

पानी

हरीशचंद्र पांडे

बोल रहा जल

नंदकिशोर आचार्य

जलोपनिषद्

मणिलाल ह. पेटेल

अब बहुत नीचे

व्योमेश शुक्ल

भू-जल

अजंता देव

पानी

असद ज़ैदी

रात का जल

प्रकाश

तेज़ धार का कर्मठ पानी

केदारनाथ अग्रवाल

पानी के संस्मरण

रघुवीर सहाय

पानी में घिरे हुए लोग

केदारनाथ सिंह

पानी

आलोकधन्वा

जाति बड़ी या प्यास

धीरेंद्र 'धवल'

कन्याकुमारी

दूधनाथ सिंह

झील

हेमंत देवलेकर

रोशनी, पानी, पेड़

अतुलवीर अरोड़ा

पानी की याद

अमर दलपुरा

नाव बनाओ नाव बनाओ

हरिकृष्णदास गुप्त हरि

पानी का रंग

मोहन राणा

जल

श्रुति गौतम

मेल

अमृत रंजन

पानी

हरि मृदुल

पानी

प्राची

प्रतिध्वनि

अरुण देव

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