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हवा पर उद्धरण

समीर को पंचतत्त्व या

पंचमहाभूत में से एक माना गया है। इसका विशिष्ट गुण स्पर्श कहा गया है। प्रस्तुत चयन में हवा को विषय बनाती अथवा हवा के प्रसंग का उपयोग करती कविताओं को शामिल किया गया है।

हवा ने बारिश को उड़ा दिया, उड़ा दिया आकाश को और सारे पत्तों को, और वृक्ष खड़े रहे। मेरे ख़याल से, मैं भी, पतझड़ को लंबे समय से जानता हूँ।

ई. ई. कमिंग्स

अगर आप हवा के सामने आत्मसमर्पण कर दें, तब आप उस पर सवारी कर सकते हैं।

टोनी मॉरिसन

आत्मा को तो शस्त्र काट सकते हैं, आग जला सकती है। उसी प्रकार तो इसको पानी गला सकता है और वायु सुखा सकता है। यह आत्मा कभी कटने वाला, जलने वाला, भीगने वाला और सूखने वाला तथा नित्य सर्वव्यापी, स्थिर, अचल एवं सनातन है।

वेदव्यास

मुझे लोभ रूपी सर्प ने डस लिया है और स्वार्थ रूपी संपत्ति से मेरे पैर भारी हो गए हैं। आशा रूपी तरंगों ने मेरे शरीर को तपा डाला है। और गुरुकृपा से संतोषरूपी वायु शीतलता प्रदान कर रहा है। मुझे विषयरूप नीम मीठा लगता है और भजनरूपी मधुर गुड़ कड़वा लग रहा है।

संत एकनाथ