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स्थिरता पर उद्धरण

शून्य स्थान में ही स्थिरता संभव है।

रघुवीर चौधरी
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आत्मा को तो शस्त्र काट सकते हैं, आग जला सकती है। उसी प्रकार तो इसको पानी गला सकता है और वायु सुखा सकता है। यह आत्मा कभी कटने वाला, जलने वाला, भीगने वाला और सूखने वाला तथा नित्य सर्वव्यापी, स्थिर, अचल एवं सनातन है।

वेदव्यास