स्वप्न पर उद्धरण
सुप्तावस्था के विभिन्न
चरणों में अनैच्छिक रूप से प्रकट होने वाले दृश्य, भाव और उत्तेजना को सामूहिक रूप से स्वप्न कहा जाता है। स्वप्न के प्रति मानव में एक आदिम जिज्ञासा रही है और विभिन्न संस्कृतियों ने अपनी अवधारणाएँ विकसित की हैं। प्रस्तुत चयन में स्वप्न को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

सपने कैसे मरते हैं, इस सच्चाई का पता लगाने के लिए, आपको सपने देखने वालों के शब्दों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

ईश्वर संसार को समझाने के लिए स्वप्न में देखा गया एक शब्द मात्र है।

उसने कहा, ‘वास्तविकता इतनी असहनीय हो गई है, इतनी धूमिल कि अब मैं केवल अपने सपनों के रंगों से ही अभिव्यक्त कर सकती हूँ।

मुझे निश्चित रूप से कुछ भी नहीं मालूम है। लेकिन तारों को देख मैं स्वप्न देखता हूँ।

…सपने देखना और देखते रहना। सपनों की दुनिया में प्रवेश करना और कभी बाहर नहीं आना।

अपने सपनों को अंतरिक्ष में पतंग की तरह फेंक दो, और तुम नहीं जानते कि वह वापस क्या लाएगा— नया जीवन, नया दोस्त, नया प्यार, या कोई नया देश।

सपनों का एक समय में एक ही मालिक होता है। इसलिए सपने देखने वाले अकेले होते हैं।

हर चीज़ को समझने की कोशिश करने से, हर चीज़ मुझे सपने दिखाने लगती है।

अपना दिमाग़ खोलो। तुम क़ैदी नहीं हो। तुम सपनों के लिए आसमान खोजने वाले, उड़ान भरने वाले पक्षी हो।

विचार सबसे बड़ा सुख है—ख़ुशी स्वयं केवल कल्पना है—क्या आपने कभी अपने सपनों से अधिक किसी चीज़ का आनंद लिया है?

मैं सपना देखता हूँ। कभी-कभी मुझे लगता है कि यही एकमात्र सही काम है।

वे तमाम चीज़ें जिन्हें हम भूल जाते हैं, सपनों में मदद के लिए चिल्लाती हैं।

स्त्रियों को सोए हुए सपनों को पूरा करने के लिए साहस जुटाना है।

मैं अपने चित्रों को स्वप्न में देखता हूँ और अपने स्वप्नों के चित्र बनाता हूँ।

सपने कार्य की सच्चाई का भाग हो जाते हैं। कार्यों से फिर से सपने उपजते हैं, और यह परस्पर निर्भरता जीवन के उच्चतम रूप का निर्माण करती है।

आप कभी भी इतने बूढ़े नहीं होते हैं कि कोई और लक्ष्य निर्धारित न कर सकें या कोई नया सपना न देख पाएँ।

मेरे ऊपर स्वप्नों की बाढ़ आ गई है, मैं चिंतित और निराश बिस्तर पर लेटा हूँ।

सामने मौजूद चीज़ पर सम्मोहित होकर उसके सपने में गुम हो जाओ।

मैं अपने सपनों में रहता हूँ—यही आप महसूस करते हैं। और लोग सपनों में जीते हैं, लेकिन अपने सपनों में नहीं। यही अंतर है।


सपनों में खोए रहना और जीना भूल जाना अच्छी बात नहीं है।

आपको अपना स्वप्न ज़रूर तलाश करना चाहिए… मगर कोई भी स्वप्न सदा के लिए नहीं रहता। हर सपने के बाद दूसरा सपना आता है, और आदमी को किसी विशेष सपने से ही चिपटे नहीं रहना चाहिए।

बोलने से बेहतर चुप रहना, चुप रहने से बेहतर स्वप्न देखना, स्वप्न देखने और सोचने से बेहतर है पढ़ना। जब हम पढ़ते हैं, चुप्पी स्वतः शांत हो जाती है, और हम किसी के संग सोच या स्वप्न देख सकते हैं।

मैं इस ग्रह पर अपना पूरा जीवन ऐसे बिताने के बारे में नहीं सोच सकती जिसमें मैं उन सभी कामों को इसलिए न कर सकूँ (जिनका सपना देखती हूँ) क्योंकि उन्हें करने की अनुमति नहीं है।

कल्पना की छलाँग लगाए बिना या सपने के बिना, हम संभावनाओं के उत्साह को खो देते हैं। आख़िरकार सपने देखना योजना बनाना ही है।

अगर मेरे दिमाग़ को बंधन में नहीं रखा जा सकता है, अगर मेरे सपनों को कम नहीं किया जा सकता है; तब किसी भी प्रकार का प्रतिबंध वास्तव में मेरे चुपचाप आत्मसमर्पण को निश्चित नहीं कर सकता है।

हम ऐसी सामग्री से बने हैं, जिसके स्वप्न बने होते हैं और हमारे लघु जीवन का अंत निद्रा से होता है।

अमेरिकी स्वप्न में 'छोटा' कुछ नहीं हो सकता। यानी जो छोटा है उसे 'छोटा' कहा नहीं जा सकता। अगर आप चूहा-दौड़ में भी हैं, तो संसार की सबसे बड़ी चूहा-दौड़ में हैं, अगर बौने हैं तो भी विराट बौने हैं।

लेखक स्वभाव से सपने देखने वाला होता है—सचेत सपने देखने वाला।

जागृति का जो विस्मरण है वही स्वप्नसृष्टि का विस्तार है। वस्तु से विमुख जो अहंकार है वही त्रिगुणात्मक संसार है।

लोग हमेशा की तरह सपने देखते, लड़ते और सोते रहे… और आदतन उन्होंने अपने विचारों को छोटा कर लिया, ताकि वे कल के बाद अँधेरे में न भटकें।

ऊँची कला कोशिश करने पर भी अपने को नीति और उद्देश्य के संसर्ग से बचा नहीं सकती, क्योंकि नीति और लक्ष्य जीवन के प्रहरी हैं और कला जीवन का अनुकरण किए बिना जी नहीं सकती।

मुक्त वायु में सुप्त शिशिर अपने सस्मित अधरों पर वसंत का स्वप्न देखता है।

आत्मशुद्धि के बिना अहिंसा-धर्म का पालन थोथा स्वप्न ही रहेगा।

गांधी, बुद्ध, अशोक नाम हैं बड़े दिव्य सपनों के, भारत स्वयं मनुष्य जाति की बहुत बड़ी कविता है।

दो सपनों की कहानी एक संयोग है, संयोग से खिंची गई एक रेखा, जैसे बादलों में बनती हैं घोड़े और शेर की आकृतियाँ।

मुझे निश्चित रूप से कुछ भी नहीं मालूम है। लेकिन तारों को देख मैं स्वप्न देखता हूँ।

कभी-कभार मेरी कल्पना में ऐसी जगहें आती हैं जो दरअसल कहीं नहीं हैं या जिनके होने की सिर्फ़ संभावना है।

अगर इस दुनिया को ईश्वर का ख़्वाब समझ लिए जाए तो ईश्वर से अपेक्षा कम हो जाए, हमदर्दी ज़्यादा।

संस्मरणों से किसी जगह को जानना उसे स्वप्न में जानने की तरह है जिसे हम जागने के कुछ देर बाद भूल जाते हैं या सिर्फ़ उसका मिटता हुआ स्वाद बचा रहता है।

महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति का सारतत्त्व ही एक स्वप्न की छाया मात्र है।
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अहिंसात्मक युद्ध में अगर थोड़े भी मर मिटने वाले लड़ाके होंगे तो वे करोड़ों की लाज रखेंगे और उनमें प्राण फूकेंगे। अगर यह मेरा स्वप्न है, तो भी मेरे लिए मधुर है।

बीता हुआ कल आज की स्मृति है और आने वाला कल आज का स्वप्न।

बुख़ार की दुनिया भी बहुत अजीब है। वह यथार्थ से शुरू होती है और सीधे स्वप्न में चली जाती है।

यह जीवन में सच्चा आनंद है, एक महान उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाना जिसे आप स्वयं पहचानते हैं...
यह जीवन में सच्चा आनंद है - एक ऐसे उद्देश्य के लिए उपयोग होना जिसे आप स्वयं एक महान उद्देश्य मानते हैं। प्रकृति की शक्ति बनना, न कि बीमारियों और शिकायतों से भरा हुआ एक स्वार्थी, असंतुष्ट व्यक्ति, जो यह शिकायत करता रहता है कि दुनिया ख़ुद को आपको खुश करने के लिए समर्पित नहीं करती। मेरा मानना है कि मेरा जीवन पूरे समाज का है, और जब तक मैं जीवित हूँ, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं उसके लिए जो कुछ कर सकता हूँ, वह करूं। मैं चाहता हूँ कि जब मैं मरूं तो मैं पूरी तरह से उपयोगी हो चुका हूँ, क्योंकि जितना कठिन मैं काम करता हूँ, उतना ही अधिक मैं जीवित महसूस करता हूँ। मैं जीवन का आनंद उसके अपने स्वभाव के लिए लेता हूँ। मेरे लिए जीवन एक छोटी-सी मोमबत्ती नहीं है। यह एक प्रकार की धधकती मशाल है जिसे मैंने अभी के लिए थाम रखा है और इसे जितना संभव हो सके उतनी तन्मयता से जलाना चाहता हूँ, इससे पहले कि मैं इसे आने वाली पीढ़ियों को सौंप दूँ ।

सपने में बड़ा उल्लास है, सुंदर भी है, रहस्यमय भी है। यही सपने का अर्थ है।

नई नस्ल तो हमारी नस्ल से भी ज़्यादा घाटे में है। हमारे पास कोई ख़्वाब नहीं है। मगर इनके पास तो झूठे ख़्वाब हैं।

यह सच नहीं है कि लोग सपने देखना बंद कर देते हैं क्योंकि वे बूढ़े हो जाते हैं, वे बूढ़े हो जाते हैं क्योंकि वे सपनों का पीछा करना बंद कर देते हैं।

कल्पना वह झूठ है जिसके माध्यम से हम सच्चाई बताते हैं।

जिन बातों को हम भूल जाते हैं वे स्वप्न में हमसे मदद की भीख माँगती हैं।