स्वप्न पर गीत

सुप्तावस्था के विभिन्न

चरणों में अनैच्छिक रूप से प्रकट होने वाले दृश्य, भाव और उत्तेजना को सामूहिक रूप से स्वप्न कहा जाता है। स्वप्न के प्रति मानव में एक आदिम जिज्ञासा रही है और विभिन्न संस्कृतियों ने अपनी अवधारणाएँ विकसित की हैं। प्रस्तुत चयन में स्वप्न को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

सब आँखों के आँसू...

महादेवी वर्मा

पहले हमें नदी का सपना

विनोद श्रीवास्तव

लिया-दिया तुमसे मेरा था

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

स्वप्न और सत्य

शंभुनाथ सिंह

सत्य स्वप्न

शंभुनाथ सिंह

स्वाद लगा

राघवेंद्र शुक्ल

मुझसे मिला कोई

रमानाथ अवस्थी

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