दीपावली पर कविताएँ

दिवाली या दीपावली हिंदुओं

का एक प्रमुख पर्व है। इसे अँधेरे पर उजाले की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। प्रस्तुत चयन इन दोनों ही आशयों के इर्द-गिर्द दीप जलाती कविताओं से किया गया है।

आओ फिर से दिया जलाएँ

अटल बिहारी वाजपेयी

दीवट का दिया

केशव तिवारी

जलाते चलो ये दीए स्नेह भर-भर

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

देवदीपावली

राधावल्लभ त्रिपाठी

अबकी दीवाली

अबुल हाशिम ख़ान

लक्ष्मीनामस्तोत्रम

हेमंत देवलेकर

तुम्हारा दिया

पंकज चतुर्वेदी

सब सो गए हैं

अखिलेश सिंह

दिए बेचती औरत

प्रेमशंकर शुक्ल

दीवाली में

अमन त्रिपाठी

घूर का दिया

केशव शरण

दीप

मुकुंद लाठ

धनतेरस

अरुण कमल

स्मृतियाँ

राकेश मिश्र

आज फिर दीवाली

सीताकांत महापात्र

रोशनी

मणि मोहन

अंधकार के बिंब

श्रद्धा आढ़ा

दीपावली की रात

ज्ञानेंद्रपति

दीवाली की रात

नीलेश रघुवंशी

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