रंग पर उद्धरण
सृष्टि को राग और रंगों
का खेल कहा गया है। रंग हमारे आस-पास की दुनिया को मोहक और सार्थक बनाते हैं। प्रकृति रंगों से भरी है और इनका मानव जीवन पर सीधा असर पड़ता है; जबकि रंगहीनता को उदासी, मृत्यु, नश्वरता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यहाँ प्रस्तुत है—रंग और रंगों को विषय बनाने वाली कविताओं के विविध रंग।
एक रंग होता है नीला और एक वह जो तेरी देह पर नीला होता है।
कविता के रंग चित्रकला के प्रकृति-रंग नहीं होते।
रंगों से ऐसी ऊर्जा मिलती है जो किसी जादू-टोने में हो सकती है।
ऐसे रंग हैं जो एक-दूसरे को बहुत ही ख़ूबसूरती से उभारते हैं, जो एक पुरुष और स्त्री की जोड़ी की तरह एक दूसरे को पूरा करते हैं।
पिछले चालीस सालों में मैं इस रहस्य को जान पाया कि काला रंग सभी रंगों रानी है।
जब मैं हरा रंग लगाता हूँ, तो वह घास नहीं होती। जब मैं नीला रंग लगाता हूँ, तो वह आकाश नहीं होता।