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कवि पर उद्धरण

कवि को लिखने के लिए कोरी स्लेट कभी नहीं मिलती है। जो स्लेट उसे मिलती है, उस पर पहले से बहुत कुछ लिखा होता है। वह सिर्फ़ बीच की ख़ाली जगह को भरता है। इस भरने की प्रक्रिया में ही रचना की संभावना छिपी हुई है।

केदारनाथ सिंह

कविता आदमी को मार देती है। और जिसमें आदमी बच गया है, वह अच्छा कवि नहीं है।

धूमिल

जनता मुझसे पूछ रही है, क्या बतलाऊँ?

जनकवि हूँ मैं, साफ़ कहूँगा, क्यों हकलाऊँ।

नागार्जुन

हे नारी! तुम्हारे स्पर्श से ही पृथ्वी को रूप मिला है और सुधा रस का स्पर्श मिला है! जीवन कुसुम को परिवेष्टित कर कवियों ने विश्व गुंजा दिया जिससे काव्य का सुरस विकसित हो उठा।

नलिनीबाला देवी

कवि अदृश्य का पुजारी होता है।

वॉलेस स्टीवंस

मैं स्वयं को असफल मनुष्य, असफल कवि, असफल पशु, असफल देवता और असफल ब्रह्मराक्षस मानता हूँ। सफल होना मेरे लिए संभव नहीं है। मेरे लिए केवल संभव है—होना।

राजकमल चौधरी

कवि के लिए, मौन स्वीकार्य ही नहीं, बल्कि ख़ुश करने वाली प्रतिक्रिया है।

कोलेट

कवि दुनिया को वैसे ही देखता है, जैसे आदमी किसी औरत को देखता है।

वॉलेस स्टीवंस

कवि कीड़ों से रेशम के कपड़े बनाता है।

वॉलेस स्टीवंस

कवि इस संसार के अघोषित विधिनिर्माता होते हैं।

हुआन रामोन हिमेनेज़

वह व्यक्ति जो कविता की भावनाओं से महान प्रसन्नता प्राप्त करता है, सच्चा कवि है—चाहे उसने पूरे जीवन में कभी एक पंक्ति भी लिखी हो।

जॉर्ज सैंड

कवि का रास्ता धूमकेतु की तरह है।

मरीना त्स्वेतायेवा

कविता तो एक जीवन को तोड़कर सकल जीवन बनाती है। और जीवन टूटता है, वह कवि का है।

त्रिलोचन

सही कवि भविष्य में देख सकते हैं।

स्वदेश दीपक

सुकवि की मुश्किल को कौन समझे, सुकवि की मुश्किल। सुकवि की मुश्किल। किसी ने उनसे नहीं कहा था कि आइए आप काव्य रचिए।

रघुवीर सहाय

जिसे संसार दुःख कहता है, वही कवि के लिए सुख है।

प्रेमचंद

देखो वृक्ष को देखो वह कुछ कर रहा है।

किताबी होगा कवि जो कहेगा कि हाय पत्ता झर रहा है।

रघुवीर सहाय
  • संबंधित विषय : पेड़

जितना कवि समय को, उतना ही समय कवि को गढ़ता है।

अशोक वाजपेयी
  • संबंधित विषय : समय

कवियों का स्थान निर्धारण या मूल्यांकन मैंने कभी नहीं किया। कभी कर पाऊँगा भी नहीं, क्योंकि ‘सफल’, ‘समर्थ’ अथवा ‘महान’ होने को मैं कोई महत्व नहीं देता। मैं महत्व देता हूँ ‘प्रिय’ होने को। और ज़रूरी नहीं है कि जो कवि मुझे प्रिय हो, वही कवि आपको भी प्रिय हो। मुझे तो निश्चय ही राजकमल चौधरी सबसे अधिक प्रिय कवि हैं। निराला के बाद इतना प्रिय कवि राजकमल चौधरी के लिए दूसरा हिंदी में नहीं हुआ, अब होगा भी नहीं।

राजकमल चौधरी

जब इंसान अपने दर्द को ढो सकने में असमर्थ हो जाता है तब उसे एक कवि की ज़रूरत होती है, जो उसके दर्द को ढोए अन्यथा वह व्यक्ति आत्महत्या कर लेगा।

श्रीकांत वर्मा

उस भाषा के साहित्य का दुर्भाग्य तय है, जहाँ आलोचक महान् हों, कवि नहीं।

स्वदेश दीपक

ईश्वर पूर्ण कवि है जो स्वयं अपनी रचनाओं का अभिनय करता है।

रॉबर्ट ब्राउनिंग

कोई कवि सहज और स्वस्थ रहे तो समझ लीजिए, कुछ क़सर है।

त्रिलोचन
  • संबंधित विषय : रोग

एक लेखक की शुरुआत हमेशा बहुत जटिल होती है - वह कई खेल एक साथ खेल रहा होता है।

होर्खे लुई बोर्खेस

यदि कवि अपनी कविता की व्याख्या करने के लिए व्याकुल होता है तो इसका यही अर्थ हो सकता है कि या तो उसे पाठक के विवेक पर भरोसा नहीं है अथवा अपनी कृति के सामर्थ्य पर।

विष्णु खरे

कविता अगर बनती जाएगी तो कवि नष्ट होता जाएगा।

त्रिलोचन

अच्छा कवि बहुत ज़िद्दी होता है और कविता लिखते समय अपने विवेक और शक्ति के अलावा किसी और को नहीं मानता।

विष्णु खरे

दार्शनिक की आत्मा उसके मस्तिष्क में निवास करती है। कवि की आत्मा उसके हृदय में, गायक की गले में, किंतु नर्तकी की आत्मा उसके अंग-प्रत्यंग में बसती है।

खलील जिब्रान

खिलाड़ी को केवल खिलाड़ी से ईर्ष्या होती है, कवि को केवल कवि से ईर्ष्या होती है।

विलियम हेज़लिट

अगर कवि की कोई यात्रा हो सकती है तो वह अवश्य ही किसी ऐसी जगह जाने की होगी जिसको वह जानता नहीं।

रघुवीर सहाय

कवि को कविता के बाहर और भीतर दोनों जगह एक साथ रहने का जोखिम उठाना होता है।

मंगलेश डबराल

अगर कविता (जिसे कहते हैं) ‘जीवन से फूटकर’ निकलती है, तो उसमें जीवन की सारी बेताब उलझनें और आशाएँ और शंकाएँ और कोशिशें और हिम्मतें कवि के अंदर की पूरी ईमानदारी के साथ अपने सरगम के पूरे बोल बजाने लगेंगी।

शमशेर बहादुर सिंह

निस्संदेह एक श्रेष्ठ मौलिक कवि की शक्ति की पहचान आगे चलकर इसी बात से की जाएगी कि वह अपने समय की रचना के सामूहिक व्यक्तित्व से किस हद तक अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने में समर्थ हो सका है।

केदारनाथ सिंह

कितना अच्छा होता कि जिस संख्या में कवियों के संग्रह छपे बताए जाते हैं, लगभग उतनी ही संख्या में उन्होंने कविताएँ भी लिखी होतीं।

सिद्धेश्वर सिंह

विचार और कलात्मकता के संतुलन पर ही आधुनिक कवि की सफलता या असफलता, शक्ति या दुर्बलता निर्भर करती है।

ऋतुराज
  • संबंधित विषय : समय

प्रभाव सभी कवियों और कलाकारों पर पड़ते हैं।

शमशेर बहादुर सिंह

कवि जब पाठक की स्थिति में होता है, तब उसकी स्थिति रचना-काल से भिन्न होती है।

त्रिलोचन

ख़ामोश होता हूँ तो वैसी कविता नहीं लिख सकता जैसी लिखना चाहता हूँ और बातूनी होने पर ख़राब आदमी होने का भय है।

मंगलेश डबराल

कवि वह सपेरा है जिसकी पिटारी में सर्पों के स्थान पर हृदय बंद होते हैं।

प्रेमचंद

मैं थोड़ा-सा कवि हूँ और आलोचक तो बिल्कुल नहीं हूँ।

मंगलेश डबराल

प्रत्येक कवि हर समय ऐसा नहीं लिखता जो ‘साहित्य’ भी हो तथा प्रकाश्य भी।

विष्णु खरे

शब्दों में अभिव्यक्ति अभ्यास के द्वारा होती है। यह सब एक निमिष में हो सकता है, इसको एक युग भी लग सकता है; कवि-कवि पर निर्भर है।

विजय देव नारायण साही

मैं कविता से ही सब कुछ क्यों चाहता हूँ, ख़ुद से क्यों नहीं?

मलयज

काव्य में वस्तुओं के गुण या दोष कवि की उक्ति पर ही निर्भर करता है।

गंगानाथ झा

यह जीवन में सच्चा आनंद है, एक महान उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाना जिसे आप स्वयं पहचानते हैं...

यह जीवन में सच्चा आनंद है - एक ऐसे उद्देश्य के लिए उपयोग होना जिसे आप स्वयं एक महान उद्देश्य मानते हैं। प्रकृति की शक्ति बनना, कि बीमारियों और शिकायतों से भरा हुआ एक स्वार्थी, असंतुष्ट व्यक्ति, जो यह शिकायत करता रहता है कि दुनिया ख़ुद को आपको खुश करने के लिए समर्पित नहीं करती। मेरा मानना है कि मेरा जीवन पूरे समाज का है, और जब तक मैं जीवित हूँ, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं उसके लिए जो कुछ कर सकता हूँ, वह करूं। मैं चाहता हूँ कि जब मैं मरूं तो मैं पूरी तरह से उपयोगी हो चुका हूँ, क्योंकि जितना कठिन मैं काम करता हूँ, उतना ही अधिक मैं जीवित महसूस करता हूँ। मैं जीवन का आनंद उसके अपने स्वभाव के लिए लेता हूँ। मेरे लिए जीवन एक छोटी-सी मोमबत्ती नहीं है। यह एक प्रकार की धधकती मशाल है जिसे मैंने अभी के लिए थाम रखा है और इसे जितना संभव हो सके उतनी तन्मयता से जलाना चाहता हूँ, इससे पहले कि मैं इसे आने वाली पीढ़ियों को सौंप दूँ

जॉर्ज बर्नार्ड शॉ

कवि की अमरता ग़लतफ़हमी पर निर्भर करती है। जिस कवि में ग़लत समझे जाने का जितना अधिक सामर्थ्य होता है, वह उतना ही दीर्घजीवी होता है।

विजय देव नारायण साही

कवि वस्तु-स्वभाव के अधीन नहीं है।

गंगानाथ झा

मैं एक कवि के रूप में प्रकट हुआ, एक कवि के रूप में मरूँगा।

श्रीकांत वर्मा

अपनी रचना का पाठक बनकर कवि स्वयं तारतम्य की खोज करने लगता है।

त्रिलोचन

कवि कोई खोज नहीं करता। वह सुनता है।

ज्याँ कोक्तो