
कवि को लिखने के लिए कोरी स्लेट कभी नहीं मिलती है। जो स्लेट उसे मिलती है, उस पर पहले से बहुत कुछ लिखा होता है। वह सिर्फ़ बीच की ख़ाली जगह को भरता है। इस भरने की प्रक्रिया में ही रचना की संभावना छिपी हुई है।

कविता आदमी को मार देती है। और जिसमें आदमी बच गया है, वह अच्छा कवि नहीं है।

जनता मुझसे पूछ रही है, क्या बतलाऊँ?
जनकवि हूँ मैं, साफ़ कहूँगा, क्यों हकलाऊँ।

हे नारी! तुम्हारे स्पर्श से ही पृथ्वी को रूप मिला है और सुधा रस का स्पर्श मिला है! जीवन कुसुम को परिवेष्टित कर कवियों ने विश्व गुंजा दिया जिससे काव्य का सुरस विकसित हो उठा।

कवि अदृश्य का पुजारी होता है।

मैं स्वयं को असफल मनुष्य, असफल कवि, असफल पशु, असफल देवता और असफल ब्रह्मराक्षस मानता हूँ। सफल होना मेरे लिए संभव नहीं है। मेरे लिए केवल संभव है—होना।

कवि के लिए, मौन स्वीकार्य ही नहीं, बल्कि ख़ुश करने वाली प्रतिक्रिया है।

कवि दुनिया को वैसे ही देखता है, जैसे आदमी किसी औरत को देखता है।

कवि कीड़ों से रेशम के कपड़े बनाता है।

कवि इस संसार के अघोषित विधिनिर्माता होते हैं।

वह व्यक्ति जो कविता की भावनाओं से महान प्रसन्नता प्राप्त करता है, सच्चा कवि है—चाहे उसने पूरे जीवन में कभी एक पंक्ति भी न लिखी हो।

कवि का रास्ता धूमकेतु की तरह है।

कविता तो एक जीवन को तोड़कर सकल जीवन बनाती है। और जीवन टूटता है, वह कवि का है।

सही कवि भविष्य में देख सकते हैं।

सुकवि की मुश्किल को कौन समझे, सुकवि की मुश्किल। सुकवि की मुश्किल। किसी ने उनसे नहीं कहा था कि आइए आप काव्य रचिए।


देखो वृक्ष को देखो वह कुछ कर रहा है।
किताबी होगा कवि जो कहेगा कि हाय पत्ता झर रहा है।

जितना कवि समय को, उतना ही समय कवि को गढ़ता है।

कवियों का स्थान निर्धारण या मूल्यांकन मैंने कभी नहीं किया। कभी कर पाऊँगा भी नहीं, क्योंकि ‘सफल’, ‘समर्थ’ अथवा ‘महान’ होने को मैं कोई महत्व नहीं देता। मैं महत्व देता हूँ ‘प्रिय’ होने को। और ज़रूरी नहीं है कि जो कवि मुझे प्रिय हो, वही कवि आपको भी प्रिय हो। मुझे तो निश्चय ही राजकमल चौधरी सबसे अधिक प्रिय कवि हैं। निराला के बाद इतना प्रिय कवि राजकमल चौधरी के लिए दूसरा हिंदी में नहीं हुआ, अब होगा भी नहीं।

जब इंसान अपने दर्द को ढो सकने में असमर्थ हो जाता है तब उसे एक कवि की ज़रूरत होती है, जो उसके दर्द को ढोए अन्यथा वह व्यक्ति आत्महत्या कर लेगा।

उस भाषा के साहित्य का दुर्भाग्य तय है, जहाँ आलोचक महान् हों, कवि नहीं।

ईश्वर पूर्ण कवि है जो स्वयं अपनी रचनाओं का अभिनय करता है।


एक लेखक की शुरुआत हमेशा बहुत जटिल होती है - वह कई खेल एक साथ खेल रहा होता है।

यदि कवि अपनी कविता की व्याख्या करने के लिए व्याकुल होता है तो इसका यही अर्थ हो सकता है कि या तो उसे पाठक के विवेक पर भरोसा नहीं है अथवा अपनी कृति के सामर्थ्य पर।


अच्छा कवि बहुत ज़िद्दी होता है और कविता लिखते समय अपने विवेक और शक्ति के अलावा किसी और को नहीं मानता।

दार्शनिक की आत्मा उसके मस्तिष्क में निवास करती है। कवि की आत्मा उसके हृदय में, गायक की गले में, किंतु नर्तकी की आत्मा उसके अंग-प्रत्यंग में बसती है।

खिलाड़ी को केवल खिलाड़ी से ईर्ष्या होती है, कवि को केवल कवि से ईर्ष्या होती है।

अगर कवि की कोई यात्रा हो सकती है तो वह अवश्य ही किसी ऐसी जगह जाने की होगी जिसको वह जानता नहीं।

कवि को कविता के बाहर और भीतर दोनों जगह एक साथ रहने का जोखिम उठाना होता है।

अगर कविता (जिसे कहते हैं) ‘जीवन से फूटकर’ निकलती है, तो उसमें जीवन की सारी बेताब उलझनें और आशाएँ और शंकाएँ और कोशिशें और हिम्मतें कवि के अंदर की पूरी ईमानदारी के साथ अपने सरगम के पूरे बोल बजाने लगेंगी।

निस्संदेह एक श्रेष्ठ मौलिक कवि की शक्ति की पहचान आगे चलकर इसी बात से की जाएगी कि वह अपने समय की रचना के सामूहिक व्यक्तित्व से किस हद तक अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने में समर्थ हो सका है।

कितना अच्छा होता कि जिस संख्या में कवियों के संग्रह छपे बताए जाते हैं, लगभग उतनी ही संख्या में उन्होंने कविताएँ भी लिखी होतीं।

विचार और कलात्मकता के संतुलन पर ही आधुनिक कवि की सफलता या असफलता, शक्ति या दुर्बलता निर्भर करती है।

प्रभाव सभी कवियों और कलाकारों पर पड़ते हैं।

कवि जब पाठक की स्थिति में होता है, तब उसकी स्थिति रचना-काल से भिन्न होती है।

ख़ामोश होता हूँ तो वैसी कविता नहीं लिख सकता जैसी लिखना चाहता हूँ और बातूनी होने पर ख़राब आदमी होने का भय है।


मैं थोड़ा-सा कवि हूँ और आलोचक तो बिल्कुल नहीं हूँ।

प्रत्येक कवि हर समय ऐसा नहीं लिखता जो ‘साहित्य’ भी हो तथा प्रकाश्य भी।

शब्दों में अभिव्यक्ति अभ्यास के द्वारा होती है। यह सब एक निमिष में हो सकता है, इसको एक युग भी लग सकता है; कवि-कवि पर निर्भर है।


काव्य में वस्तुओं के गुण या दोष कवि की उक्ति पर ही निर्भर करता है।

यह जीवन में सच्चा आनंद है, एक महान उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाना जिसे आप स्वयं पहचानते हैं...
यह जीवन में सच्चा आनंद है - एक ऐसे उद्देश्य के लिए उपयोग होना जिसे आप स्वयं एक महान उद्देश्य मानते हैं। प्रकृति की शक्ति बनना, न कि बीमारियों और शिकायतों से भरा हुआ एक स्वार्थी, असंतुष्ट व्यक्ति, जो यह शिकायत करता रहता है कि दुनिया ख़ुद को आपको खुश करने के लिए समर्पित नहीं करती। मेरा मानना है कि मेरा जीवन पूरे समाज का है, और जब तक मैं जीवित हूँ, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं उसके लिए जो कुछ कर सकता हूँ, वह करूं। मैं चाहता हूँ कि जब मैं मरूं तो मैं पूरी तरह से उपयोगी हो चुका हूँ, क्योंकि जितना कठिन मैं काम करता हूँ, उतना ही अधिक मैं जीवित महसूस करता हूँ। मैं जीवन का आनंद उसके अपने स्वभाव के लिए लेता हूँ। मेरे लिए जीवन एक छोटी-सी मोमबत्ती नहीं है। यह एक प्रकार की धधकती मशाल है जिसे मैंने अभी के लिए थाम रखा है और इसे जितना संभव हो सके उतनी तन्मयता से जलाना चाहता हूँ, इससे पहले कि मैं इसे आने वाली पीढ़ियों को सौंप दूँ ।

कवि की अमरता ग़लतफ़हमी पर निर्भर करती है। जिस कवि में ग़लत समझे जाने का जितना अधिक सामर्थ्य होता है, वह उतना ही दीर्घजीवी होता है।

कवि वस्तु-स्वभाव के अधीन नहीं है।

मैं एक कवि के रूप में प्रकट हुआ, एक कवि के रूप में मरूँगा।


कवि कोई खोज नहीं करता। वह सुनता है।