श्यामसुंदर दास की संपूर्ण रचनाएँ
निबंध 3
उद्धरण 23
कविता में सत्यता से अभिप्राय उस निष्कपटता से है और उस अंतर्दृष्टि से है; जो हम अपने घावों या मनोवेगों का व्यंजन करने में, उनका हम पर जो प्रभाव पड़ता है, उसे प्रत्यक्ष करने में तथा उनके कारण हममें जो सुख-दु:ख, आशा-निराशा, आश्चर्य-चमत्कार, श्रद्धा-भक्ति आदि के भाव उत्पन्न होते हैं—उनको अभिव्यक्त करने में प्रदर्शित करते हैं।