जिन लोगों के मन में केशव के काव्य के बारे में रूखेपन और पाण्डित्य का भ्रम है, उन्हें कदाचित् यह पता नहीं है कि केशव हिंदी के उत्तर-मध्य युग के कवियों में सबसे अधिक व्यवहारविद्, लोक-कुशल और मनुष्य के स्वभाव के मर्मज्ञ कवि हैं।
मानव का रूप और तत्संबंधी भावना, जो हमें रीतिकाल में दिखाई देती है—वह उत्थानशील समाज की विशेषता कदापि नहीं हो सकती।
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