Font by Mehr Nastaliq Web

निर्दोष पर उद्धरण

हमारे समाज में उपकार भी इस प्रकार किए जाते हैं कि स्वार्थ अधिक निर्दोष लगता है।

रघुवीर चौधरी

जो भी किसी निर्दोष कृति को देखना चाहता है, वह ऐसी वस्तु की बात सोचता है जो तो कभी थी, है और कभी होगी।

अलेक्ज़ेंडर पोप

शत्रुओं के द्वारा जो सच्चे हों ऐसे छोटे छोटे दोषों का आरोपण सज्जनों की निर्दोषता को सूचित करता है क्योंकि यदि सत्य दोष होगा तो झूठा दोष आरोपण करने के लिए कोई उद्योग नहीं करेगा।

श्रीहर्ष

धनी हो या दरिद्र, दुःखी हो या सुखी, निर्दोष हो या सदोष (जैसा भी हो), मित्र परम गति है।

वाल्मीकि

निर्दोष व्यक्तियों का संबंध छोड़ो! दुख के समय जिसने सहायता की हो उसकी मित्रता को त्यागो।

तिरुवल्लुवर

अलग-अलग बिखरे हुए शब्द तभी तक निर्दोष रह पाते हैं जब तक कवि उन्हें अपनी जिह्वा रूपी सुई से गूँथ नहीं देता (अर्थात् काव्य का सर्वथा निर्दोष होना असंभव है)।

कवि कर्णपूर

उनको देखते समय उनके दोष नहीं दिखते, और उनको देखते समय उनके निर्दोष व्यवहार नहीं दिखते।

तिरुवल्लुवर

यह अधिक अच्छा है कि दस दोषी व्यक्ति बच जाए अपेक्षाकृत इसके कि एक निर्दोष दंडित हो।

विलियम ब्लैकस्टोन