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झूठ पर उद्धरण

झूठ मिथ्या या असत्य

वचन है। इसे सत्य का छद्म या भ्रम भी कहा जाता है। यहाँ झूठ शब्द-केंद्र पर परिधि पारती कविताओं का एक चयन प्रस्तुत है।

औरत जब लड़की में बदल जाए तो बिल्कुल चुप रहो। थक जाए, चुप हो जाए, तो मर्दों का बनाया सबसे झूठा वाक्य बोलो, आप तो ग़ुस्से में और सुंदर हो जाती हैं।

स्वदेश दीपक

पुराने दोस्त पी लेने के बाद और पराए हो जाते हैं। पी लेने के बाद दोस्तों की ज़बान खुल जाती है, दिल नहीं।

कृष्ण बलदेव वैद

सबसे अच्छा तो यही है कि झूठ का कोई जवाब ही दिया जाए। झूठ अपनी मौत मर जाता है। उसकी अपनी कोई शक्ति नहीं होती। विरोध पर वह फलता-फूलता है।

मोहनदास करमचंद गांधी
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एक झूठ संदेह से अधिक आरामदायक है, प्रेम से अधिक उपयोगी है, सत्य से अधिक स्थाई है।

गेब्रियल गार्सिया मार्ख़ेस

मेरे सामने जब कोई असत्य बोलता है तब मुझे उस पर क्रोध होने के बजाए स्वयं अपने ही ऊपर अधिक कोप होता है, क्योंकि में जानता हूँ कि अभी मेरे अंदर—तह में—असत्य का वास है।

मोहनदास करमचंद गांधी

मैं वह झूठ हूँ, जो हमेशा सच बोलता है।

ज़्यां कॉक्त्यू
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जब तक सच जूते पहन रहा होता है, तब तक झूठ पूरी दुनिया के चक्कर लगा कर जाता है।

मार्क ट्वेन
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जो नकल कर सकता है वह कुछ भी कर सकता है।

लियोनार्डो दा विंची

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