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काका कालेलकर

1885 - 1981 | सतारा, महाराष्ट्र

समादृत लेखक, पत्रकार, समाज-सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत लेखक, पत्रकार, समाज-सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

काका कालेलकर की संपूर्ण रचनाएँ

यात्रा वृत्तांत 3

 

उद्धरण 11

भारतीय धर्म ने और भारतीय संस्कृति ने कभी नहीं कहा कि केवल हमारा ही एक धर्म सच्चा है और बाक़ी के झूठे हैं। हम तो मानते हैं कि सब धर्म सच्चे हैं, मनुष्य के कल्याण के लिए प्रकट हुए हैं। सब मिल कर इनका एक विश‍ाल परिवार बनता है। इस पारिवारिकता को और आत्मीयता को को जो चीज़ें खंडित करती है उनकी छोड़ देने के लिए सब को तैयार रहना ही चाहिए। हर एक धर्म-समाज अंतर्मुख होकर अपने दिल को टटोल कर देखे कि जागतिक मानवीय एकता का द्रोह हमसे कहाँ तक हो रहा है।

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कट्टरता से धार्मिकता थोड़ी बहुत मज़ूबत होती है, सही, लेकिन, साथ-साथ सच्ची धार्मिकता काफ़ी निष्प्राण हो जाती है। कट्टरता हरेक धर्म के लिए श्मशान भूमि बनती है।

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उपवास करने से चित्त अंतर्मुख होता है, दृष्टि निर्मल होती है और देह हलकी बनी रहती है।

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इतिहास का अर्थ है मनुष्य जाति के सम्मुख उपस्थित हुए प्रश्नों का उल्लेखन।

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जीवन-शुद्धि और जीवन-समृद्धि यही हमारा आदर्श हो।

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पुस्तकें 7

 

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