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व्यंग्य पर कविताएँ

व्यंग्य अभिव्यक्ति की

एक प्रमुख शैली है, जो अपने महीन आघात के साथ विषय के व्यापक विस्तार की क्षमता रखती है। काव्य ने भी इस शैली का बेहद सफल इस्तेमाल करते हुए समकालीन संवादों में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। इस चयन में व्यंग्य में व्यक्त कविताओं को शामिल किया गया है।

चिड़िया

शरद जोशी

ढूँढ़ते रह जाओगे

अरुण जैमिनी

कोरोना काल में

पंकज चतुर्वेदी

डेमोक्रेसी

अशोक चक्रधर

अवांछित लोग

कुमार अम्बुज

बूढ़ी छूकर

सुभाष मुखोपाध्याय

फिर जो होना था

संजय चतुर्वेदी

प्रेम-संगीत

कांतानाथ पांडेय 'चोंच'

यूँ नहीं

अखिलेश सिंह

कविता-पाठ

असद ज़ैदी

कविता और टैक्स-इंसपेक्टर

व्लादिमीर मायाकोव्स्की

कचरा

निखिल आनंद गिरि

बुत का हाथ

महमूद दरवेश

बच्चे

अमिताभ

व्यंग्योक्तियाँ

अर्नेस्तो कार्देनाल

दाँत

मिरोस्लाव होलुब

कर दिया गया बाहर मैदान से

इबॉर्तो पॅदिल्ल्या

लेनिन का सखुआ

अंद्रेई वोज़्नेसेंस्की

अंतिम बात

युम्लेम्बम इबोमचा सिंह

विलोम

महमूद दरवेश

पढ़िए गीता

रघुवीर सहाय

आभार

पंकज चतुर्वेदी

एक अमेरिकी जनाज़ा

दाबिया ख़ामीस

बेवक़ूफ़

सुभाष मुखोपाध्याय

नाराज़ सीज़र

ज्याँ आर्थर रम्बो

नरक के बारे में सोचते हुए

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट

नोट

हेलमूट त्सेंकर

नृत्य-नृत्य

युम्लेम्बम इबोमचा सिंह

क़दम

एरिष फ्रीड

हमारी लाचारी

असद ज़ैदी

चेतावनियाँ

निकानोर पार्रा

हाथी

वीरेन डंगवाल