व्यंग्य पर पद

व्यंग्य अभिव्यक्ति की

एक प्रमुख शैली है, जो अपने महीन आघात के साथ विषय के व्यापक विस्तार की क्षमता रखती है। काव्य ने भी इस शैली का बेहद सफल इस्तेमाल करते हुए समकालीन संवादों में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। इस चयन में व्यंग्य में व्यक्त कविताओं को शामिल किया गया है।

व्याकरणाचार्य

बालमुकुंद गुप्त

देशोद्धार की तान

बालमुकुंद गुप्त

सोहै न तोके पतलून साँवर गोरवा

बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'

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