
क़ानून निर्धन को पीसते हैं और धनवान क़ानून पर शासन करते हैं।

सभी के लिए एक क़ानून है अर्थात् वह क़ानून जो सभी क़ानूनों का शासक है, हमारे विधाता का क़ानून, मानवता, न्याय, समता का क़ानून, प्रकृति का क़ानून, राष्ट्रों का कानून।

आवश्यकता कोई क़ानून नहीं जानती।
