ग़रीबी पर उद्धरण
ग़रीबी बुनियादी आवश्यकताओं
के अभाव की स्थिति है। कविता जब भी मानव मात्र के पक्ष में खड़ी होगी, उसकी बुनियादी आवश्यकताएँ और आकांक्षाएँ हमेशा कविता के केंद्र में होंगी। प्रस्तुत है ग़रीब और ग़रीबी पर संवाद रचती कविताओं का यह चयन।

दरिद्रता सब पापों की जननी है तथा लोभ उसकी सबसे बड़ी संतान है।


ग़ुरबत और ग़लाज़त दो बहनें : दुनिया भर में।

दुर्दिन में मन के कोमल भावों का सर्वनाश हो जाता है और उनकी जगह कठोर एवं पाशविक भाव जागृत हो जाते हैं।

