शर्म पर उद्धरण

शर्म का एक अर्थ लज्जा,

हया, संकोच आदि है; जबकि एक अन्य अर्थ में यह दोषभाव या ग्लानि का आशय देता है। इस चयन में शर्म विषय से संबंधित कविताओं को शामिल किया गया है।

निर्लज्जता सब कष्ट से दुस्सह है। और कष्टों से शरीर को दुःख होता है, इस कष्ट से आत्मा का संहार हो जाता है।

प्रेमचंद

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