शर्म पर उद्धरण
शर्म का एक अर्थ लज्जा,
हया, संकोच आदि है; जबकि एक अन्य अर्थ में यह दोषभाव या ग्लानि का आशय देता है। इस चयन में शर्म विषय से संबंधित कविताओं को शामिल किया गया है।

मुझे अपने अतीत से प्यार है। मुझे अपने वर्तमान से प्यार है। जो मेरे पास था उसमें मुझे शर्म नहीं थी, और मैं इस बात से दुखी नहीं हूँ कि अब वह मेरे पास नहीं है।

ग़ुरबत और ग़लाज़त दो बहनें : दुनिया भर में।
