Font by Mehr Nastaliq Web

शर्म पर उद्धरण

शर्म का एक अर्थ लज्जा,

हया, संकोच आदि है; जबकि एक अन्य अर्थ में यह दोषभाव या ग्लानि का आशय देता है। इस चयन में शर्म विषय से संबंधित कविताओं को शामिल किया गया है।

मुझे अपने अतीत से प्यार है। मुझे अपने वर्तमान से प्यार है। जो मेरे पास था उसमें मुझे शर्म नहीं थी, और मैं इस बात से दुखी नहीं हूँ कि अब वह मेरे पास नहीं है।

कोलेट

ग़ुरबत और ग़लाज़त दो बहनें : दुनिया भर में।

कृष्ण बलदेव वैद

निर्लज्जता सब कष्ट से दुस्सह है। और कष्टों से शरीर को दुःख होता है, इस कष्ट से आत्मा का संहार हो जाता है।

प्रेमचंद