
नीच पुरुष लाभ के उद्देश्य से प्रेम करते हैं। मनस्वी पुरुष मान के अभिलाषी होते हैं।

सारे ही धर्म एक समान बात कहते हैं। मनुष्यता ऊँचे गुणों को विकसित करना ही धर्म का उद्देश्य है।

बीसवें और तीसवें दशक के सर्वसत्तावादी अभिजात वर्ग का सबसे बड़ा फ़ायदा तथ्य के किसी भी बयान को उद्देश्य के प्रश्न में बदल देना था। इसलिए, प्राधिकरण का सबसे बड़ा दुश्मन अवमानना है, और इसे कमज़ोर करने का सबसे पक्का तरीक़ा हँस देना है।

मेरी देशभक्ति कोई वर्जनशील वस्तु नहीं है। वह तो सर्वग्रहणशील है और मैं ऐसी देशभक्ति को स्वीकार नहीं करूँगा जिसका उद्देश्य दूसरे राष्ट्रों के दुख का लाभ उठाना या उनका शोषण करना हो। मेरी देशभक्ति की जो कल्पना है व हर हालत में हमेशा, बिना अपवाद के समस्त मानव-जाति के व्यापकतम हित के अनुकूल है। यदि ऐसा न हो तो उस देशभक्ति का कोई मूल्य नहीं होगा। इतना ही नहीं, मेरा धर्म तथा धर्म से नि:सृत मेरी देशभक्ति समस्त जीवों को अपना मानती है।

यद्यपि दानशीलता और अभिमान के उद्देश्य भिन्न-भिन्न हैं, फिर भी दोनों ग़रीबों का पोषण करते हैं।
