
नीच पुरुष लाभ के उद्देश्य से प्रेम करते हैं। मनस्वी पुरुष मान के अभिलाषी होते हैं।

सारे ही धर्म एक समान बात कहते हैं। मनुष्यता ऊँचे गुणों को विकसित करना ही धर्म का उद्देश्य है।

बीसवें और तीसवें दशक के सर्वसत्तावादी अभिजात वर्ग का सबसे बड़ा फ़ायदा तथ्य के किसी भी बयान को उद्देश्य के प्रश्न में बदल देना था। इसलिए, प्राधिकरण का सबसे बड़ा दुश्मन अवमानना है, और इसे कमज़ोर करने का सबसे पक्का तरीक़ा हँस देना है।

इतिहास का प्रयोजन वर्तमान समय और उसके अनुसार कर्तव्य को महत्त्व देना है।

जिसका उद्देश्य कार्य को समुचित रीति से करना है, उसको सर्वोत्तम उपादानों का प्रयोग करना चाहिए।

खान-पान के अतिरेक से किसी उद्देश्य को नहीं पाएगा और निराहार बनकर अहंकारी बन जाएगा। भोजन युक्त हो (न कम, न अधिक) उसी से समरसता रहेगी। समरसतायुक्त आहार-विहार से ही बंद द्वार खुल जाएँगे।

कला का उद्देश्य प्रकृति को प्रस्तुत करना है, न कि उसका अनुकरण करना।

कलाकार भटकता न रहे, उद्भ्रांत न रहे, किसी प्रयोजन में नियोजित कर दिया जाए तो वह बड़ी शक्ति बन जाता है। नहीं तो वह अपने को ही खाता है।

मेरी देशभक्ति कोई वर्जनशील वस्तु नहीं है। वह तो सर्वग्रहणशील है और मैं ऐसी देशभक्ति को स्वीकार नहीं करूँगा जिसका उद्देश्य दूसरे राष्ट्रों के दुख का लाभ उठाना या उनका शोषण करना हो। मेरी देशभक्ति की जो कल्पना है व हर हालत में हमेशा, बिना अपवाद के समस्त मानव-जाति के व्यापकतम हित के अनुकूल है। यदि ऐसा न हो तो उस देशभक्ति का कोई मूल्य नहीं होगा। इतना ही नहीं, मेरा धर्म तथा धर्म से नि:सृत मेरी देशभक्ति समस्त जीवों को अपना मानती है।

राणा प्रताप का चरित्र एक भावावेश नहीं है, वह तो एक कुशल राजनीतिज्ञ देशभक्त है, जिसने अपने उद्देश्य को अपने जीवन से ऊँचा रखा है।

वंश चाहे अखंड हो चाहे न हो, पर मातृभूमि! हमारे उद्देश्य पूरित हों। प्रज्वलित अग्नि में, माता के बंधन तोड़ने सूस के लिए अपना सर्वस्व जलाकर हम कृतार्थं हो गए हैं।

कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि क्या मेरे लेखन का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या अन्य लोगों ने भी ऐसा ही किया है या महसूस किया है, या यदि नहीं; तो क्या उनके लिए ऐसी चीज़ों को अनुभव करना सामान्य है।

यद्यपि दानशीलता और अभिमान के उद्देश्य भिन्न-भिन्न हैं, फिर भी दोनों ग़रीबों का पोषण करते हैं।