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देशभक्ति पर कविताएँ

देश के प्रति आस्था,

अनुराग और कर्तव्यपरायणता ही नहीं, देश से अपेक्षाओं और समकालीन मोहभंग के इर्द-गिर्द देशभक्ति के विस्तृत अर्थों की पड़ताल करती कविताओं से एक चयन।

झाँसी की रानी

सुभद्राकुमारी चौहान

पथ भूल न जाना पथिक कहीं!

शिवमंगल सिंह सुमन

हिमालय

रामधारी सिंह दिनकर

पुष्प की अभिलाषा

माखनलाल चतुर्वेदी

वीरों का कैसा हो वसंत?

सुभद्राकुमारी चौहान

उठ जाग मुसाफ़िर

वंशीधर शुक्ल

शहीदों की चिताओं पर

जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी'

आज देश की मिट्टी बोल उठी है

शिवमंगल सिंह सुमन

क़दम क़दम बढ़ाए जा

वंशीधर शुक्ल

जेल में आती तुम्हारी याद

शिवमंगल सिंह सुमन

सन् 1857 की जनक्रांति

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

क़ैदी और कोकिला

माखनलाल चतुर्वेदी

15 अगस्त 1947

सुमित्रानंदन पंत

स्वदेश

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

दमदार दावे

अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध

देशभक्त हे!

आर. चेतनक्रांति

सिपाही

माखनलाल चतुर्वेदी

असहयोग

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

जवानी का झंडा

रामधारी सिंह दिनकर

सीलमपुर के लड़के

आर. चेतनक्रांति

भारतमाता की नवरत्नमाला

सुब्रह्मण्य भारती

सागर खड़ा बेड़ियाँ तोड़े

माखनलाल चतुर्वेदी

स्वर्गीय-संगीत

मैथिलीशरण गुप्त

वह देश कौन-सा है?

रामनरेश त्रिपाठी

अनिद्रा में

सविता सिंह

बिदा

सुभद्राकुमारी चौहान

भारत माँ के पवित्र दशांक

सुब्रह्मण्य भारती

निशीथ-चिंता

रामनरेश त्रिपाठी

वसंत के नाम पर

रामधारी सिंह दिनकर

तकली

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

सबेरा हुआ है

वंशीधर शुक्ल

भारत-धरनि

श्रीधर पाठक

भारत माँ की ध्वजा

सुब्रह्मण्य भारती

मुक्त गगन है, मुक्त पवन है

माखनलाल चतुर्वेदी

सुंदर भारत

श्रीधर पाठक

स्मरणीय भाव

श्रीधर पाठक

नक़ली क़िला

मैथिलीशरण गुप्त

भारत माता

सुमित्रानंदन पंत

राखी की चुनौती

सुभद्राकुमारी चौहान

राष्ट्रगान बज रहा है

जसिंता केरकेट्टा

जिन चीज़ों का मतलब नहीं होगा

हरे प्रकाश उपाध्याय

पंद्रह अगस्त

शंकर शैलेंद्र

जग में अब भी गूँज रहे हैं

सियारामशरण गुप्त

भारतवर्ष

मैथिलीशरण गुप्त

पलटनिया पिता

अनिल कार्की

प्राचीन योध-स्मृति

अप्पलस्वामी पुरिपंडा

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