
वह कर्म सबसे उत्तम है जो अधिकतम लोगों को सबसे बड़ी प्रसन्नता प्रदान करता है।

जिसका उद्देश्य कार्य को समुचित रीति से करना है, उसको सर्वोत्तम उपादानों का प्रयोग करना चाहिए।

पूजा करने वाला पूजा करने में अपने उत्तम गुणों को बाहर लाता है।

जिस उपन्यास को समाप्त करने के बाद पाठक अपने अंदर उत्कर्ष का अनुभव करे, उसके सद्भाव जाग उठें, वही सफल उपन्यास है।

महाराज! जहां गंगा बहती है, वही उत्तम देश है और वही तपोवन है। गंगा के समीपवर्ती स्थान को सिद्धिक्षेत्र समझना चाहिए।

पारंगत दार्शनिक हुए बिना कोई भी व्यक्ति कभी महान कवि नहीं हुआ।

प्रतिभाशाली व्यक्ति किसी कार्य में इसलिए उत्कृष्ट नहीं होते कि वे उसमें परिश्रम करते हैं। अपितु वे उसमें परिश्रम करते हैं क्योंकि वे उसमें उत्कृष्ट होते हैं।
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