Font by Mehr Nastaliq Web

दार्शनिक पर उद्धरण

जो सब प्राणियों की रात्रि होती है, उसमें संयमी मनुष्य जागता है और जिस अवस्था में सब प्राणी जागते हैं, वह तत्त्वज्ञ मुनि की रात्रि होती है।

वेदव्यास

दार्शनिक की आत्मा उसके मस्तिष्क में निवास करती है। कवि की आत्मा उसके हृदय में, गायक की गले में, किंतु नर्तकी की आत्मा उसके अंग-प्रत्यंग में बसती है।

खलील जिब्रान

दार्शनिक के लिए सत्य कहने का साहस प्रथम अर्हता है।

जॉर्ज विल्हेम फ़्रेडरिक हेगेल

एक दार्शनिक के लिए कितनी भी क्षुद्र परिस्थिति गौण नहीं होती।

ओलिवर गोल्डस्मिथ

दार्शनिक जिन्हें सिद्धांत कहता है, राजनेता उनमें वहम देखता है। और राजनेता जिसे पद और प्रभुता मानता है, दार्शनिक उसे माया का खेल और फ़रेब मानता है।

जैनेंद्र कुमार

सब विद्वत्ता व्वर्थ है और दर्शनशास्त्र मिथ्या है।

जॉन मिल्टन

जैसे सर्वोतम धर्म वह है जो सभी धर्मों के सत्य को स्वीकारे, वैसे ही सर्वोतम दार्शनिक मत वह है जो सभी दर्शनों के सत्य को स्वीकारे और प्रत्येक को उसका उचित स्थान दे।

श्री अरविंद