
केवल हिंदुस्तान में दर्शन संगीत के रूप में कहा गया। जब दर्शन और संगीत का जोड़ हो जाए तो मज़ा ही आएगा।

किसी विशुद्ध ‘बकवास’ को प्रदर्शित करना, और बोध के द्वारा भाषा की सीमाओं से सिर फोड़ने से आई चोटों को दिखाना दर्शन के परिणाम हैं। इन चोटों से हमें खोज की महत्ता पता चलती है।

हे भगवान! दार्शनिक को सभी व्यक्तियों की आँखों के सामने रखी वस्तुओं को देखने की अंतर्दृष्टि प्रदान कर।

किसी बेहूदा जासूसी कहानी में कही गई बात किसी बेहूदा दार्शनिक द्वारा कही जाने वाली बात से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण और स्पष्ट होती है।

यदि दर्शन और बुद्धि का उपयोग मनुष्यों की समानता की घोषणा करने के लिए किया जाता है, तो उनका उपयोग मनुष्यों के विनाश को उचित ठहराने के लिए भी किया जाता है।

नारी के सच्चे रूप का दर्शन कितनी बड़ी दुर्लभ वस्तु है, इस बात को जगत के अधिकांश लोग जानते ही नहीं।

दरिद्रनारायण के दर्शन करने हों, तो किसानों के झोंपड़ों में जाओ।

"विचारों को छोड़ों और निर्विचार हो रहो, पक्षों को छोड़ो और निष्पक्ष हो जाओ—क्योंकि इसी भाँति
वह प्रकाश उपलब्ध होता है, जो कि सत्य को उद्घाटित करता है।’’

काव्यप्रणयन के लिए व्याकरणशास्त्र, छंदःशास्त्र, शब्दकोश, व्युत्पत्ति-शास्त्र, ऐतिहासिक एवं पौराणिक कथाओं, लोकव्यवहार, तर्कशास्त्र और कलाओं का मनन करना चाहिए।

फ़िलासफ़ी बघारना प्रत्येक कवि और कथाकार के लिए अपने-आपमें एक ‘वैल्यू’ है, क्योंकि मैं कथाकार हूँ, क्योंकि ‘सत्य’, ‘अस्तित्व’ आदि की तरह ‘गुटबंदी’ जैसे एक महत्त्वपूर्ण शब्द का ज़िक्र आ चुका है, इसीलिए सोलह पृष्ठ के लिए तो नहीं, पर एक-दो पृष्ठ के लिए अपनी कहानी रोककर मैं भी पाठकों से कहना चाहूँगा कि सुनो-सुनो हे भाइयो, वास्तव में तो मैं एक फ़िलासफ़र हूँ, पर बचपन के कुसंग के कारण...।

तीर्थंकरों ने जो कुछ देने योग्य था, वह दे दिया है, वह समग्र दान यही है—दर्शन, ज्ञान और चरित्र का उपदेश।

न वह शब्द है, न अर्थ, न न्याय और न कला ही, जो काव्य का अंग न बन सके, अर्थात् काव्य में सभी शब्दों, अर्थों, दर्शनों, कलाओं आदि का प्रयोग हो सकता है। अहो! कवि का दायित्व कितना बड़ा है।

मनुष्य प्रभु को पाने का मार्ग है, और जो मंज़िल को छोड़ मार्ग से ही संतुष्ट हो जावें, उनके दुर्भाग्य को क्या कहें?

दर्शन तर्क-वितर्क कर सकता है और शिक्षा दे सकता है, धर्म उपदेश दे सकता है और आदेश दे सकता है; किंतु कला केवल आनंद देती है और प्रसन्न करती है।

ईसा की वाणी में भारतीय चिंतन ही बोला था, यूरोप में उस वाणी की कोई परंपरा ही नहीं थी। इराक़ तक फैले हुए बौद्ध, शैव और वैष्णव चिंतनों का दर्शन ही उसकी पृष्ठभूमि में था।

मनुष्य को प्रतिक्षण और प्रतिपल स्वयं को नया कर लेना होता है। उसे अपने को ही जन्म देना होता है। स्वयं के सतत् जन्म की इस कला को जो नहीं जानते हैं, वे जानें कि वे कभी के ही मर चुके हैं।


जगत् की विघ्न-बाधा, अत्याचार, हाहाकार के बीच ही जीवन के प्रयत्न में सौंदर्य की पूर्ण अभिव्यक्ति तथा भगवान की मंगलमय शक्ति का दर्शन होता है।

संदेह स्वस्थ चिंतन का लक्षण है और उसके सम्यक् अनुगमन से ही सत्य के ऊपर पड़े पर्दे क्रमशः गिरते जाते हैं और एक क्षण सत्य का दर्शन होता है।

बस आप जानिए कि असावधान हैं; इस तथ्य के प्रति चुनावरहित रूप से सजग रहिए कि आप असावधान हैं, और हैं तो क्या हुआ? यानी इसके लिए चिंता मत कीजिए एवं असावधानी की इस अवस्था में, असावधानी के इन क्षणों में, यदि आप कुछ कर बैठें–तो उस क्रिया के प्रति सजग रहिए।

संसार में एक कृष्ण ही हुआ जिसने दर्शन को गीत बनाया।

विपत्तियों का मधुर दुग्ध - दर्शनशास्त्र।

शायद यह संसार रसोई की मेज़ पर ही समाप्त होगा, जबकि हम हँसते और रोते होंगे, और निश्चिन्तता से अपना अंतिम मीठा निवाला खाते होंगें।

प्रथम दर्शन में ही सज्जन व्यक्ति उपहार के रूप में प्रणय को समर्पित करता है।

जब तक 'विश्लेषक' मौजूद हैं तब तक निर्णायक सत्ता भी कायम रहेगी, जो नियंत्रण की पूरी समस्या को जन्म देती है।

क्या आपने कभी बिलकुल शांत और स्थिर बैठने की कोशिश की है, इस ढंग से कि आँखों की या शरीर के अन्य अंगों की एक भी हरकत या हलचल न हो? दो मिनट इसे करें। इस दो मिनट में सारा कुछ प्रकट हो जाता है— यदि आप देखने की कला जानते हैं।

जो कुछ आपने समझ लिया, वह अब आपका हो गया।

सम्पूर्ण भारतीय दर्शन कविता की पंक्तियों में बद्ध है।


दर्शनशास्त्र की आवश्यकता तब पड़ती है जब परंपरा में श्रद्धा हिल जाती है।

प्रेम से आर्द्र, उत्कृष्ट प्रेम के आश्रयभूत, परिचय के कारण प्रगाढ़ अनुराग से संपन्न एवं स्वभाव से सुंदर उस की कटाक्ष आदि चेष्टाएँ मेरे प्रति हों। इस प्रकार की आशा से परिकल्पित होने पर भी तत्काल ही नेत्र आदि बाह्य इंद्रियों के दर्शन आदि क्रियाओं को रोकने वाला और अत्यंत आनंद से प्रगाढ़ चित्त का लय (तन्मयता) हो जाता है।

द्वार के बाहर जो चीज़ है उसका वर्णन कोई भी नहीं कर सकता, क्योंकि वह अकथनीय है—वह अकथनीय चाहे कुछ भी न हो या सब कुछ हो।

देखने और सुनने की क्रिया ही सावधानी है; इसकी आपको साधना नहीं करनी है, यदि आप साधना करते हैं तो आप तत्काल असावधानी की अवस्था में आ जाते है।

जीवन के तथाकथित सुखों की क्षणभंगुरता को देखो। उसका दर्शन ही, उनसे मुक्ति बन जाती है।

हे देवाधिदेव! अत्यंत शीघ्र ही इस असार संसार को मेरे मन से दूर कर दो। हे यादवेश! मेरे पाप-समूहों को मुझसे दूर कर दो। हे भगवान! आप दीन व अनाथ पर अवश्य ही अचल कृपा करते हैं। हे जगन्नाथ स्वामी! मुझे दर्शन दो।

अवलोकन और अनुभव में बहुत बड़ा फ़र्क है। वास्तविक अवलोकन में कोई अवलोकनकर्ता नहीं होता, केवल अवलोकन की क्रिया होती है।

पाश्चात्य दर्शन का इतिहास प्लेटो के दर्शन पर पाद-टिप्पणियों की शृंखला से अधिक कुछ नहीं है।

निजी संपत्ति और सार्वजनिक संपत्ति के बीच की खाई के दो किनारों को मिलाने वाला एक सेतु होता है, जिसे दर्शन-शास्त्र में एकरूपत, या एक-दूसरे में रूपांतर, अथवा अंतर-व्याप्ति कहते हैं।

हमारे वर्तमान दार्शनिक अध्ययन का मुख्य उद्देश्य, कठमुल्लावादी विचार को दूर करना ही होना चाहिए।

छः ऋतुओं के भेद से, मानो समय ही छः रूपों में विभक्त्त है। उसमें विपर्यय होने से कालविरोधी दोष होता है।

आधुनिक जीवन का आधार कोई जीवन-दृष्टि या दर्शन है भी कहाँ, सिर्फ़ मतवाद है और तंत्र है।

निषेध द्वारा ही आप विध्यात्मक क्रिया उपलब्ध करते हैं।

दर्शनशास्त्र : असाध्य समस्याओं के अबोधगम्य उत्तर।

जैसे सर्वोतम धर्म वह है जो सभी धर्मों के सत्य को स्वीकारे, वैसे ही सर्वोतम दार्शनिक मत वह है जो सभी दर्शनों के सत्य को स्वीकारे और प्रत्येक को उसका उचित स्थान दे।

कुछ भी ऐसा बुरा या ऐसा अच्छा नहीं है कि अँग्रेज़ वैसा करता हुआ न मिले किंतु कभी भी तुम्हें अँग्रेज़ ग़लती पर नहीं मिलेगा। वह हर बात सिद्धांत पर करता है। वह तुमसे लड़ता है तो देशभक्ति के सिद्धांतों पर; वह तुम्हें लूटता है व्यापारिक सिद्धांतों पर; वह तुम्हें दास बनाता है साम्राज्यवादी सिद्धांतों पर; वह अपने राजा का समर्थन करता है राजकीय सिद्धांतों पर और अपने राजा का सिर काट देता है गणतंत्रीय सिद्धांतों पर।

होरेशियो! तुम्हारे दर्शनशास्त्र में जिन बातों की को कल्पना की गई है, उनकी तुलना में पृथ्वी और स्वर्ग में कहीं अधिक वस्तुएँ हैं।

दर्शनशास्त्र आश्चर्य की उपज है।
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