“इसमें कोई संदेह नहीं,” बूढ़े सज्जन श्री कारास ने कहा, “अगर कोई अपने अतीत का लेखा-जोखा करे, तो उसे अपनी ज़िंदगी में ही अलग-अलग क़िस्म की ज़िंदगियों के सूत्र मिल सकते हैं। यह संयोग की ही बात है कि किसी एक दिन वह ग़लती से—या शायद अपनी इच्छा से—एक ख़ास क़िस्म
एकबारगी यह समझ पाना संभव नहीं था कि क्या हुआ और कैसे हुआ कि दोनों बहनें—एलिज़ाबेथ और कैटरीना पूरे तीस बरस तक कस्बे के बाक़ी बाशिंदों से और तकरीबन हर प्राणी से एकदम कटकर अलग-थलग ज़िंदगी बसर करती रहीं। दोनों बहनें किसी बड़े ज़मींदार की बेटियाँ थीं और आलम
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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