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जे. कृष्णमूर्ति

1895 - 1986 | आँध्र प्रदेश

जे. कृष्णमूर्ति की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 1

इच्छा सदैव भविष्य की होती है। कुछ होने की इच्छा वस्तुतः वर्तमान में निष्क्रियता है।

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