Font by Mehr Nastaliq Web

जवाहरलाल नेहरू पर उद्धरण

एक सुसंस्कृत दिमाग़ को अपने दरवाज़े और खिड़कियाँ खुली रखनी चाहिए।

जवाहरलाल नेहरू

जब इंसान भूखा रहता है, जब मरता रहता है, तब संस्कृति और यहाँ तक कि ईश्वर के बारे में बात करना मूर्खता है।

जवाहरलाल नेहरू

यदि आपका दृष्टिकोण अच्छा है, तो प्रतिक्रिया भी अच्छी मिलेगी। अगर दृष्टिकोण ग़लत है, तो प्रतिक्रिया भी ग़लत ही मिलेगी।

जवाहरलाल नेहरू

ग़लत नज़रिया होने पर शुरुआत में जो संस्कृति अच्छी चीज़ होती है; वो केवल गतिहीन हो जाती है, बल्कि आक्रामक कभी-कभी संघर्ष और घृणा का बीज बो देती है।

जवाहरलाल नेहरू

सहमति या असहमति की बात केवल तब उठती है, जब आप चीज़ों को समझते हैं। अन्यथा यह एक अंधी असहमति होती है, जो किसी भी सवाल को लेकर एक सुसंस्कृत तरीक़ा नहीं हो सकता।

जवाहरलाल नेहरू

एक व्यक्ति जो दूसरों के विचार या राय को नहीं समझ सकता है, तो इसका मतलब यह हुआ कि उसका दिमाग़ और संस्कृति सीमित है।

जवाहरलाल नेहरू

अगर मेरे दिमाग़ में लिखे हुए इतिहास और कमोबेश जाने हुए वाक्यों के चित्र भरे हुए थे, तो मैंने अनुभव किया कि अनपढ़ किसान के दिमाग़ में भी एक चित्रशाला थी, हाँ! इसका आधार परंपरा, पुराण की कथाएँ और महाकाव्य के नायकों और नायिकाओं के चरित्र थे। इसमें इतिहास कम था, फिर भी चित्र काफ़ी सजीव थे।

जवाहरलाल नेहरू

मेरी पीढ़ी के लोगों के लिए गांधी जी कल्पना थे, जवाहरलाल जी कामना और नेताजी सुभाष कर्म। कल्पना सर्वथा द्रष्टा रहेगी, तथापि विस्तार में उसके कुछ अपने दोष थे, पर उसकी कीर्ति, मैं आशा करता हूँ कि समय के साथ चमकेगी। कामना कड़वी हो गई है और कर्म अपूर्ण रहा।

राममनोहर लोहिया

किसी इंसान, किसी प्रजाति या फिर किसी भी राष्ट्र की—कहीं कहीं एक जड़ ज़रूर होती है।

जवाहरलाल नेहरू

अंग्रेज़ उन बातों में बड़े ईमानदार हैं, जिनसे उनका फ़ायदा हो सकता है।

जवाहरलाल नेहरू

मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आध्यात्मिक चीज़ों और नैतिक मूल्य अंततः—अन्य चीज़ों से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हैं। लेकिन एक इंसान का यह कहकर बचना कि अध्यात्म उत्कृष्ट है, उसका सीधा मतलब यह है कि वह भौतिक और वास्तविक चीज़ों में कमतर है—यह अचंभित करता है। वह किसी भी तरीक़े को अपनाता नहीं है। यह अधोगति के कारणों का सामना करने से बचना है।

जवाहरलाल नेहरू

हम अपनी काल्पनिक सृष्टि से सत्य को ढकने की कोशिश करते हैं और असलियत से अपने को बचाकर, सपनों की दुनिया में विचरने का प्रयत्न करते हैं।

जवाहरलाल नेहरू

मेरे देश के महान नेता महात्मा गांधी, जिनकी प्रेरणा और देखरेख में मैं बड़ा हुआ, उन्होंने हमेशा नैतिक मूल्यों पर ज़ोर दिया और हमें आगाह किया कि साध्य के फेर में कभी भी साधन को कमतर किया जाए।

जवाहरलाल नेहरू

जीवन चाहे वह किसी व्यक्ति का हो, समूह का हो या फिर किसी राष्ट्र या समाज का हो—उसे आवश्यक रूप से गतिशील, परिवर्तनीय और सतत बढ़ते रहने वाले होना चाहिए।

जवाहरलाल नेहरू

एक हठवादी मत में तो ज़िंदगी से अलग हटकर भी यक़ीन क़ायम रखा जा सकता है, लेकिन इंसानी व्यवहार के एक चालू सिद्धांत को तो ज़िंदगी से अपना मेल बनाए रखना है, नहीं तो वह ज़िंदगी के रास्ते में रुकावट बन जाएगा।

जवाहरलाल नेहरू

हर देश और हर व्यक्ति के पास संस्कृति को लेकर उसकी निजी राय होती है।

जवाहरलाल नेहरू

अगर व्यक्ति को शांति और सुकून हासिल करना है तो यह तभी हो सकता है, जबकि उसे सारी दुनिया में फैली हुई; एक ही क़िस्म की समाजी व्यवस्था का सहारा मिले।

जवाहरलाल नेहरू

घोर अधःपतन और दरिद्रता होते हुए भी हिंदुस्तान में काफ़ी शालीनता और महानता है और हालाँकि वह पुरानी परंपरा और मौजूदा मुसीबतों से काफ़ी दबा हुआ है, और उसकी पलकें थकान से कुछ भारी मालूम होती हैं, फिर भी अंदर से निखरती हुई सौंदर्य-कांति उसके शरीर पर चमकती है।

जवाहरलाल नेहरू

भले ही हमारा उद्देश्य सही हो लेकिन अगर हमारे साधन ग़लत हैं, तो वो हमारे उद्देश्य को भ्रष्ट कर देंगे या फिर ग़लत दिशा में मोड़ देंगे। साध्य और साधन आपस में एक-दूसरे से बहुत सघन यौगिक रूप से जुड़े हुए हैं, और उन्हें अलग नहीं किया जा सकता।

जवाहरलाल नेहरू

स्पष्ट रूप से इंसान के बाहरी और आंतरिक जीवन में जब तक तारतम्यता नहीं रहेगी, तब तक अधिकतर समय इंसान रणक्षेत्र बना रहता है।

जवाहरलाल नेहरू

भारत के इतिहास को लेकर मेरा विचार यह है कि हम भारत के विकास, प्रगति और ह्रास को उस अवधि से तुलना कर माप सकते हैं, जब भारत का अपना दिमाग़ दुनिया को लेकर खुला था और जब इसने इसे बंद करने की इच्छा व्यक्त की।

जवाहरलाल नेहरू

मैं मानता हूँ कि दुनिया में ऐसी कोई संस्कृति नहीं है, जो पूरी तरह से पूर्वकालीन है और जिस पर किसी अन्य संस्कृति का प्रभाव पड़ा हो।

जवाहरलाल नेहरू

अतीत वर्तमान के लिए अनिवार्य रूप से ज़रूरी है।

जवाहरलाल नेहरू

जब राष्ट्रवाद सफल होता है, तो कभी-कभी यह आक्रामक तरीक़े से बढ़ता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख़तरा बन जाता है।

जवाहरलाल नेहरू

बड़ी त्रासदी यह है कि मानव जाति अपने ख़ुद के अनुभवों से फ़ायदा नहीं उठाती और लगातार उसी रास्ते की ओर बढ़ती रहती है, जिसने उसे पहले बर्बादी में झोंका था।

जवाहरलाल नेहरू

आक्रामकता को चुनौती की तरह लेना होगा, क्योंकि यह शांति को ख़तरे में डालती है।

जवाहरलाल नेहरू

अगर संस्कृति में कोई मूल्य है, तो निश्चित तौर पर इसमें गहराई भी होनी चाहिए। इसमें निश्चित तौर पर एक गतिशील कारक भी होना चाहिए।

जवाहरलाल नेहरू

राष्ट्रवाद एक संकीर्ण विचार है, अगर वह ख़ुद में किसी व्यापक अवधारणा से जुड़ा हुआ नहीं है।

जवाहरलाल नेहरू

जब किसी चीज़ या अन्य को बेहतर बनाने की कोशिश की जाती है, तो अनिवार्य रूप से संघर्ष की उत्पत्ति होती है। चीज़ों को बेहतर बनाने की कोशिश तब की जाती है, जब वे अपनी जड़ों से अलग हुए बिना स्वाभाविक रूप से विकास या बदलाव को नहीं अपनाती हैं।

जवाहरलाल नेहरू

मैं यह महसूस करता हूँ कि संभवतः जिन लोगों को आधुनिक जीवन और आधुनिक विज्ञान के सभी लाभ नहीं मिलते, वे शुरू में हममें से अधिकतर लोगों से ज़्यादा बुद्धिमान होते हैं।

जवाहरलाल नेहरू

नेहरू ने अपने देश को सौंदर्य-प्रतीकों, प्रेरणा-प्रतीकों और स्मृति-प्रतीकों में देखा। इन सबने उन्हें बिजली दी। इस बिजली के बग़ैर कोई हिंदुस्तान में रह कैसे सकता है?

राजेंद्र माथुर
  • संबंधित विषय : देश