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अवास्तविक पर उद्धरण

दुनिया में दु:ख तो बहुत हैं, परंतु अगम-अगाध गंभीर दु:ख बहुत ही कम! ठीक वैसे ही जैसे कामबोध की खुजलाहट तो सबके पास है, परंतु निर्मल उदात्त प्रेम की क्षमता बिरले के ही पास होती है।

कुबेरनाथ राय

आँखें एक जैसी होने पर भी देखने-देखने में फ़र्क़ होता है।

रघुवीर चौधरी

शरीर अंततः अवास्तविक है।

रघुवीर चौधरी
  • संबंधित विषय : देह

प्राण-संशय होने पर प्राणियों के लिए कुछ भी अकरणीय नहीं होता है।

कल्हण

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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