Font by Mehr Nastaliq Web
Vasudevsharan Agrawal's Photo'

वासुदेवशरण अग्रवाल

1904 - 1966 | ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश

भारत के इतिहास, संस्कृति, कला एवं साहित्य के अधिकारी विद्वान। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत।

भारत के इतिहास, संस्कृति, कला एवं साहित्य के अधिकारी विद्वान। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत।

वासुदेवशरण अग्रवाल की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 6

कला और काव्य दोनों ही का उपजीव्य भावलोक है। भाव-सृष्टि से ही आरंभ में गुण सृष्टि का जन्म होता है और फिर भाव और गुण दोनों की समुदित समृद्धि भूतसृष्टि में अवतीर्ण होती है। भाव-सृष्टि का संबंध मन से, गुण-सृष्टि का प्राण से और भूत-सृष्टि का स्थूल भौतिक रूप से है। इन तीनों की एकसूत्रता से ही लौकिक सृष्टि संभव होती है। इन तीनों के ही नामांतर ज्ञान, क्रिया और अर्थ है।

  • शेयर

हमारे भीतर जो प्राण-शक्ति है, उसी का नाम अमृत है। बच्चे के भीतर यह प्राण शक्ति या जीवन की धारा इतनी बलवती होती है कि उसके मनःक्षेत्र में मृत्यु का भाव कभी आता ही नहीं। यह असंभव है कि बच्चे को हम मृत्यु का ज्ञान करा सकें।

  • शेयर

सत्य की जिज्ञासा ऋषित्व का प्रथम और अंतिम लक्षण है। सत्य का साक्षात् दर्शन जिसे हो, वह ऋषि है।

  • शेयर

इन स्थूल ग्रंथों की सफलता यही है कि ये जीवन में चरितार्थ हों। लिखित अक्षरों के पीछे जो वास्तविक अक्षर तत्त्व है, जिसका कभी नाश नहीं होता, उस तक पहुँचने का आवाहन इन ग्रंथों से प्रत्येक मानव को मिलता है।

  • शेयर

पुरुष सृष्टि की सबसे चमत्कारपूर्ण रचना है।

  • शेयर

पुस्तकें 5

 

संबंधित ब्लॉग

 

Recitation