
आलसी सोने वाले मनुष्य को दरिद्रता प्राप्त होती है तथा कार्य-कुशल मनुष्य निश्चय ही अभीष्ट फल पाकर ऐश्वर्य का उपभोग करता है।
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निश्चय ही इस संसार में इच्छारहित प्राणी को संपदाएँ नहीं अपनाती और संपूर्ण कल्याणों की उपस्थिति उनके हाथ में नित्य रहती है जो आलसी नहीं हैं।

आलस्य सुखरूप प्रतीत होता है परंतु उसका अंत दुःख है तथा कार्यदक्षता दुःखरूप प्रतीत होती है परंतु उससे सुख का उदय होता है।
