ओनोरे द बाल्ज़ाक की संपूर्ण रचनाएँ
उद्धरण 12
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जो कोई भी मैकियावेली को ध्यान से पढ़ता है, वह जानता है कि दूरदर्शिता इसी बात में है कि कभी किसी को धमकी न दी जाए, बिना कहे कर गुज़रा जाए; दुश्मन को पीछे हटने के लिए बाध्य तो किया जाए पर कभी, जैसाकि कहते हैं, साँप की दुम पर क़दम न रखा जाए; और अपने से नीची हैसियत के किसी भी व्यक्ति के अभिमान को चोट पहुँचाने से हमेशा बचा जाए। किसी व्यक्ति के हित को, चाहे वह उस समय कितना भी बड़ा क्यों न हो, पहुँची चोट कालांतर में क्षमा की या भुलाई जा सकती है; लेकिन अभिमान और दंभ को लगा घाव कभी भरता नहीं है, कभी भुलाया नहीं जाता। आत्मिक व्यक्तित्व भौतिक व्यक्तित्व से ज़्यादा संवेदनशील, या यूँ कहें कि ज़्यादा सजीव होता है। संक्षेप में, हम चाहे जो भी करें, हमारा आंतरिक व्यक्तित्व ही हमें शासित करता है।
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किसी आदमी से कहा जाए, “तुम ठग हो,” तो शायद वह इसे मज़ाक़ के रूप में लेगा, लेकिन उसे ठगी करते हुए पकड़ लिया जाए और उसकी पीठ पर छड़ी लगाकर उसे यह बताया जाए, उसे पुलिस अदालत की धमकी दी जाए और फिर उस धमकी पर अमल न किया जाए तो यह उसे परिस्थितियों की असमानता की ही याद दिलाएगा। अगर जनसाधारण किसी क़िस्म की नस्ली श्रेष्ठता को बर्दाश्त नहीं करेंगे, तो क्या यह मुमकिन है कि कोई ठग ईमानदार आदमी की नस्ल को सहन कर लेगा?