फूल पर उद्धरण

अमेरिकी कवि एमर्सन ने

फूलों को धरती की हँसी कहा है। प्रस्तुत चयन में फूलों और उनके खिलने-गिरने के रूपकों में व्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।

दुनिया में नाम कमाने के लिए कभी कोई फूल नहीं खिलता है।

गजानन माधव मुक्तिबोध

फूल हमेशा चुपचाप सूखते हैं।

स्वदेश दीपक

फूलों को तोड़कर गुलदान में सजाने वाले शायद ही कभी किसी बीज का अंकुरण देख पाते होंगे।

सिद्धेश्वर सिंह

ज़िंदगी को फूलों से तोलकर, फूलों से मापकर फेंक देने में कितना सुख है।

धर्मवीर भारती

फूल को शक्ति के संसार में धकेलकर प्रवेश करने वाली संस्कृति का एक चिह्न गुलाब का फूल है। इस धक्के में जिस फूल को चोट आई है वह गेंदा है।

रघुवीर सहाय

संबंधित विषय

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए