
खेल बच्चों का काम है और यह कोई मामूली काम नहीं है।

सिर्फ़ सामान्य लोग ही होते हैं, जिन्हें आप बहुत अच्छी तरह से नहीं जानते हैं।

‘सामान्यता’ एक पक्की सड़क है : इस पर चलना तो आरामदायक है, पर इस पर कोई फूल नहीं उगता।

एक सामान्य मनुष्य के मन पर सुंदर-असुंदर की जैसी प्रतिक्रिया होती है, वैसी ही प्रतिक्रिया एक कलाकार के मन पर भी होती है।

साधारण-सी चीज़ को विशेष भाव से अपना बना लेना और उसे फिर उसी उपाय से साधारण बना देना साहित्य का काम है।
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अत्यंत मामूली चीजों का भी अपना वजन होता ही है।