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फूल पर ब्लॉग

अमेरिकी कवि एमर्सन ने

फूलों को धरती की हँसी कहा है। प्रस्तुत चयन में फूलों और उनके खिलने-गिरने के रूपकों में व्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।

मैंने सूरजमुखी होना चुना है

मैंने सूरजमुखी होना चुना है

मैं जब अपनी उम्र के 29वें साल की दहलीज़ पर थी, तब मैंने अपने आपसे वादा किया था कि मैं अपने 30वें साल में वह नहीं रहूँगी जो मैं नहीं हूँ। अब प्रश्न यह है कि मैं हूँ ही कौन? मुझसे पहले बहुत सारे विद्वान

तोषी
वसंत की चोट सबसे मारक होती है

वसंत की चोट सबसे मारक होती है

सुबह कद्दू का एक फूल खिला था—उजला! लेकिन उसके उजलेपन में भी एक मटमैली आभा थी। वैसी ही जैसे मनुष्य में होती है। कितना भी उजला हो, उसमें कुछ मटमैलापन कुछ दाग़ रह ही जाते हैं। शायद यह मटमैलापन ही उसे मनु

उपासना

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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